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हिंदी औरतों की भाषा, इसमें जान नहीं…’ युवराज सिंह के पिता योगराज का विवादित बयान

टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह अक्सर अपने बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं. कभी एमएस धोनी पर अलग-अलग आरोप तो कभी कपिल देव पर भड़ास निकालने के कारण योगराज सिंह सुर्खियां बटोरते रहे हैं. टीम इंडिया के इस पूर्व तेज गेंदबाज का कोई भी इंटरव्यू बिना किसी विवादित बयान के नहीं गुजरता. अब ऐसा ही एक बयान योगराज के मुंह से निकला है लेकिन ये क्रिकेट को लेकर नहीं, बल्कि हिंदी भाषा को लेकर है. एक इंटरव्यू में योगराज ने कहा है कि हिंदी भाषा में जान नहीं है और ये मर्दों की भाषा नहीं है. उन्होंने इसे महिलाओं की भाषा बता दिया.

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एक यूट्यूब चैनल ‘अनफिल्टर्ड विद समधीश’ में योगराज सिंह का ये नया इंटरव्यू आया है. वैसे तो उन्होंने इस इंटरव्यू में क्रिकेट से जुड़े कई पहलुओं पर बात की और हमेशा की तरह अपने आक्रामक तेवर दिखाए लेकिन इस बार उन्होंने क्रिकेट के मैदान से बाहर भाषा को लेकर बवाल खड़ा कर दिया है. अपने इस इंटरव्यू में उन्होंने हिंदी भाषा को निशाने पर लिया और पंजाबी को ‘मर्दों की भाषा’ बताया.

मर्दों के मुंह से अच्छी नहीं लगती हिंदी’

इस इंटरव्यू की एक क्लिप फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वो हिंदी भाषा को लेकर अजीबोगरीब बयान देते हुए दिख रहे हैं. योगराज हिंदी को औरतों की भाषा बताते हुए कहा कि मर्दों के मुंह से हिंदी अच्छी नहीं लगती. उन्होंने कहा, “मुझे तो हिंदी भाषा ऐसे लगती है जैसे कोई औरत बोल रही हो…मुझे वो पसंद है लेकिन जब औरत बोलती है तो अच्छा लगता है. मर्द हिंदी बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि कौन आदमी है, ये क्या बोल रहा है?”

फिर जब उनसे पूछा गया कि मर्दों की भाषा क्या है तो वो पंजाबी में बात करने लगे. साथ ही औरतों की आवाज की नकल करते हुए हिंदी में बात करने लगे और मजाक उड़ाने लगे. उन्होंने कहा, “हिंदी में जब कोई कहता है तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं गिर रहा हूं…जान नहीं है इसमें. हां मुगल-ए-आजम में जब वो बोलता है तो उसमें बात थी क्योंकि उसमें उर्दू और फारसी मिक्स थी.”

अश्विन भी हिंदी को लेकर विवादों में

वैसे हिंदी को लेकर पिछले कुछ दिनों में ये दूसरा बयान है, जिस पर विवाद हो रहा है. कुछ ही दिन पहले टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने चेन्नई में एक कॉलेज के इवेंट में हिंदी भाषा को लेकर बयान दिया था, जिसके बाद से वो लोगों के निशाने पर हैं. अश्विन ने कहा था कि हिंदी देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं बल्कि राजकीय भाषा है. इसके बाद से ही अश्विन की आलोचना हो रही है और उन पर हिंदी भाषा का मजाक बनाने का आरोप लग रहा है.

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