महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी विवाद: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने जताई चिंता

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर चल रहा विवाद अभी थमा नहीं है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इस मामले में बयान देते हुए कहा है कि भाषा के नाम पर नफरत फैलाने से राज्य को नुकसान होगा। उन्होंने पूछा, “अगर कोई मुझे मार दे, तो क्या मैं तुरंत मराठी बोल पाऊंगा?” राज्यपाल ने महाराष्ट्र के साथ-साथ तमिलनाडु का भी जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी नफरत फैलाने वाली नीतियां कहीं भी लागू हो रही हों, वे गलत हैं और इससे राज्य की छवि खराब होती है।

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राजनीतिक बयान पर विवाद

राज्यपाल के इस बयान पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल का राजनीतिक बयान देना उचित नहीं है और उनका पद संवैधानिक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी हिंदी के खिलाफ नहीं है, लेकिन हिंदी को अनिवार्य करने के फैसलों का विरोध किया गया है। केंद्र सरकार के रुख को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं कि क्या राज्यपाल केंद्र सरकार के खिलाफ हैं।

हिंदी अनिवार्यता का विरोध और सरकार का रुख

महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य करने के फैसले का विरोध विपक्ष ने काफी जोर-शोर से किया। विरोध बढ़ने पर सरकार ने हिंदी की अनिवार्य शिक्षा से जुड़े सभी सरकारी फैसलों को रद्द कर दिया। हालांकि, विवाद अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और राज्यपाल के ताजा बयान के बाद नया विवाद शुरू होने की संभावना बनी हुई है।

राज्य की भलाई के लिए निवेश का सवाल

राज्यपाल ने चिंता व्यक्त की है कि अगर भाषा को लेकर नफरत फैलाई जाएगी, तो क्या कोई निवेशक राज्य में आएगा? उन्होंने कहा कि छोटे राजनीतिक फायदों के लिए ऐसी स्थिति पैदा करना गलत है और राज्य की समृद्धि के लिए सभी भाषाओं का सम्मान जरूरी है।

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