2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले का स्वागत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को कांग्रेस पर हमला बोला. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए ‘हिंदू आतंक’ की थ्योरी गढ़ी थी ताकि पीएम मोदी के राजनीतिक उदय को रोका जा सके और मुस्लिम वोटरों को खुश किया जा सके.
रविशंकर प्रसाद बोले – यह ऐतिहासिक दिन
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने मालेगांव मामले में सभी आरोपियों की बरी होने को ‘ऐतिहासिक दिन’ बताया. उन्होंने पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के लिए मुआवजे की मांग की, जिन्हें इस केस में झूठे आरोपों में फंसाया गया था. उन्होंने अभियोजन पक्ष से माफी की मांग करते हुए यह भी आरोप लगाया कि इन आरोपियों को प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ झूठे सबूत गढ़े गए.
कांग्रेस की साजिश थी वोट बैंक के लिए ‘हिंदू आतंक’ का झूठ – बीजेपी
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. यह केस कांग्रेस की एक सुनियोजित साजिश थी.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ‘भगवा आतंक’ का दावा अब पूरी तरह फेल हो चुका है.
राहुल गांधी को भी घेरा, विकीलीक्स का हवाला
बीजेपी नेता ने राहुल गांधी के उस बयान पर पलटवार किया, जिसमें उन्होंने मालेगांव फैसले को नजरअंदाज किया और ट्रंप की भारत पर की गई टिप्पणी को लेकर सरकार की आलोचना की थी. प्रसाद ने 2010 के विकीलीक्स केबिल का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था कि “हिंदू चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.” उन्होंने राहुल और सोनिया गांधी दोनों से माफी की मांग की.
कोर्ट ने कहा – कोई विश्वसनीय सबूत नहीं
करीब 17 साल पुराने इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी. मुंबई की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं मिले. इनमें प्रमुख नाम प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल पुरोहित का है.
कर्नल पुरोहित को बताया ‘वीर अधिकारी’, प्रज्ञा को ‘संत’
प्रसाद ने कर्नल पुरोहित को कश्मीर में आतंक से लड़ने वाला ‘वीर अधिकारी’ बताया, जबकि प्रज्ञा ठाकुर को ‘संत’ कहते हुए कहा कि इन दोनों को 17 साल तक झूठे आरोपों में यातना दी गई.
यूपीए पर आरोप – मुस्लिम संदिग्धों को बचाने की कोशिश
रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस ने कई आतंक मामलों में मुस्लिम संदिग्धों को बचाने की कोशिश की. उन्होंने 2004 के इशरत जहां एनकाउंटर, 2007 मक्का मस्जिद विस्फोट और 2007 समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट का भी जिक्र किया. उन्होंने दोहराया, “कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.”