राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को अपने सदस्यों से हर परिवार तक पहुंचने और सभी हिंदुओं को एकजुट करने के लिए काम करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जो जातिवाद जैसी असमानताओं से मुक्त हो और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी से अवगत हो.
शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे आरएसएस प्रमुख ने नवाबगंज के दीन दयाल उपाध्याय स्कूल में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की. हमें शाखा क्षेत्र के हर परिवार से संपर्क करना चाहिए. सभी हिंदुओं को एकजुट करने के लिए काम करना होगा.
संस्कार और परिवारों में सद्भाव
उन्होंने कहा कि हर घर में संस्कार और परिवारों में सद्भाव होना चाहिए, ताकि हर घर में सनातन परंपरा को फिर से स्थापित किया जा सके. रविवार को भागवत ने संघ पदाधिकारियों के साथ चार बैठकें कीं, जिसमें शाखाओं के संचालन और छात्रों के बीच सेवा कार्यों के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई.
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस व्यक्तित्व विकास के लिए काम करता है. व्यक्तिगत विकास का मतलब है परिवार के साथ-साथ समाज, राष्ट्र और पूरी मानव जाति यानी विश्व के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास करना.
पूरे समाज में एक बड़े बदलाव
उन्होंने कहा कि हम कहते हैं कि विश्व एक परिवार है. जैसे-जैसे संघ का विस्तार हुआ, इसने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कार्य का दायरा बढ़ाया और विस्तार किया. आज हम संघ के शताब्दी वर्ष में हैं. पंच परिवर्तन के आधार पर पूरे समाज में एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है.
जातिवाद की असमानता से मुक्त
एक ऐसा समाज जो राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझता हो, एक ऐसा समाज जो पर्यावरण के अनुरूप अपनी जीवनशैली बनाता हो. एक ऐसा समाज जो जातिवाद की असमानता से मुक्त हो, जहां पूरे समाज का मंदिरों, जलाशयों, श्मशानों पर समान अधिकार हो.
कानपुर में आरएसएस के पदाधिकारियों ने बताया कि स्वयंसेवकों को 21 मई से कानपुर में प्रशिक्षण दिया जा रहा है और शिविर का समापन 10 जून को होगा. उन्होंने बताया कि आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले पिछले दो दिनों से कानपुर में हैं और स्वयंसेवकों को जाति बंधनों से परे समाज के निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे हैं.