‘हिन्दुओं की जमीन भी ली गई, कोई तो हो जो उनकी सुने…’, वक्फ पर JPC के मेंबर ने बताया क्यों बोर्ड में हैं गैर मुस्लिम सदस्य?

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ उठे विरोध के स्वर के बाद बीजेपी इस कानून को लेकर जनता के पास जा रही है. खासकर मुस्लिम समुदाय के पास. बीजेपी इस कानून के फायदे लोगों को समझाएगी. भाजपा नेतृत्व ने इस उद्देश्य के लिए हाल ही में राधा मोहन दास अग्रवाल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया है.

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वक्फ संशोधन बिल पर राज्यसभा में बहस के दौरान राधा मोहन दास अग्रवाल का भाषण चर्चा में आया था. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य 70 वर्षीय अग्रवाल वक्फ कानून पर संसद की संयुक्त समिति के सदस्य भी थे.

राधा मोहन दास अग्रवाल ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन वजहों का खुलासा किया है जिस वजह से नए वक्फ संशोधन कानून के तहत बनने वाले वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की नियुक्ति की जाएगी. उन्होंने कहा कि हिन्दुओं की जमीनों पर भी अतिक्रमण हुआ है. लेकिन सुनवाई के लिए बने वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में अब तक सिर्फ मुसलमान ही थे, तो हिन्दुओं का पक्ष सुनने वाला भी कोई होना चाहिए. इसलिए यह प्रावधान किया गया है कि वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम भी हों.

मुसलमान बिना सरकारी सहायता के विकसित बन सकते थे

वक्फ पर बीजेपी के जागरुकता अभियान को समझाते हुए राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य बहुत स्पष्ट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि गरीबों को उनका हक मिलना चाहिए. प्रधानमंत्री और भाजपा का मानना ​​है कि अगर वक्फ संपत्तियों का रखरखाव और उपयोग सही तरीके से किया जाता, उनकी आय पारदर्शी तरीके से गरीब मुसलमानों, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं, अनाथों और बुजुर्गों के लिए इस्तेमाल की जाती, तो मुसलमान बिना किसी सरकारी सहायता के एक विकसित समुदाय बन सकते थे.

पिछली सरकार पर हमला करते हुए राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि जब कोई सरकार मामले का राजनीतिकरण करती है तो वह कहती है कि संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, और फिर चुप हो जाती है, कुछ नहीं करती और हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करती है. हमारी सरकार ने यह नहीं कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है. इसके बजाय, उसने कहा कि संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है.

बीजेपी सांसद ने बताया कि पीएम मोदी ने कहा कि गरीबों को पहला हक मिलना चाहिए. और जब हमारी सरकार की योजनाएं पारदर्शी तरीके से जमीन पर उतरीं तो मुस्लिमों को ज्यादा फायदा हुआ.

उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए कहा, “मुस्लिम, जो आबादी का 15% हिस्सा हैं, पीएम आवास योजना में 31% लाभार्थी हैं, उज्ज्वला योजना में 37%, मुद्रा ऋण योजना में 36% आदि. केंद्र सरकार की नौकरियों में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व 5% से बढ़कर 9.5% हो गया है. हमारी सरकार ने हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा किए बिना चुपचाप अपना काम किया, और भविष्य में भी अपना काम करेगी.”

भू-माफिया की तरह काम किया है

वक्फ का मसला लाते हुए राधा मोहन दास ने कहा, “हिंदू, सिख और ईसाई के मुकाबले मुसलमानों के पास सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए वक्फ के रूप में एक अतिरिक्त संसाधन था. मोदी सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक लाया है, हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि जिन लोगों ने वक्फ संपत्तियों को लूटा है, उन्होंने भू-माफिया की तरह काम किया है और उनमें से अधिकांश मुस्लिम नेता, कांग्रेस के नेता, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), AIMIM और वक्फ मुतवल्ली (केयरटेकर) और वक्फ बोर्ड के सदस्य हैं.”

वक्फ की बढ़ती संपत्तियों और स्थिर आय का जिक्र करते हुए राधा मोहन दास ने कहा कि वक्फ की संपत्ति 2006 में जो 4.5 लाख थी वो आज बढ़कर 8.72 लाख हो गई. अगर रकबा की बात करें तो ये 6 लाख एकड़ से बढ़कर 37.94 एकड़ हो गई.

इन संपत्तियों से होने वाली वार्षिक आय आज बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये हो जानी चाहिए थी, लेकिन वास्तविक आय 163 करोड़ रुपये से बढ़कर केवल 166 करोड़ रुपये हो पाई है.

राधा मोहन दास ने कहा, “मुद्दा यहीं है. जिन लोगों ने वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण किया है, वे मुसलमानों से कह रहे हैं कि सरकार उनकी मस्जिदों, दरगाहों, खानकाहों, कब्रिस्तानों आदि पर कब्जा कर लेगी. वास्तविकता यह है कि नए वक्फ कानून में प्रावधान है कि जो अविवादित संपत्तियां अधिनियम के लागू होने से पहले वक्फ-बाय-यूजर थीं, वे वक्फ-बाय-यूजर ही रहेंगी.”

“कांग्रेस ने 1995 और 2013 में वक्फ कानून में संशोधन करके वक्फ बोर्ड को इतनी शक्ति दे दी कि वे किसी भी व्यक्ति की संपत्ति उसे बताए बिना ले सकते हैं और जिला मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति की सुनवाई नहीं कर सकता. उसे उसी वक्फ बोर्ड से संपर्क करना होगा जिसने उसकी संपत्ति ली है. ट्रिब्यूनल में भी मुसलमान ही होते हैं.”

कोई हिन्दुओं की भी तो सुने…

बता दें कि 3 अप्रैल को राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर बहस के दौरान राधा मोहन दास ने वक्फ बोर्ड की तुलना पुरानी फिल्मों के गुंडों से की थी. उन्होंने कहा था कि जिस तरह से फिल्मों में गुंडे जिस स्त्री पर हाथ रख देते थे, वह उनकी हो जाती थी. उसी तरह से य जिस जमीन पर हाथ रख देते थे वह जमीन इनकी हो जाती थी. वक्फ बाय यूजर इनका बड़ा हथियार था.

सांसद राधा मोहन दास ने इंडियन एक्सप्रेस से नए वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की वजह बताते हुए कहा कि, ‘अब जबकि हिंदुओं की जमीन पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण हो चुका है और वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में अब तक सिर्फ मुसलमान ही थे, तो हिंदुओं का पक्ष सुनने वाला भी कोई होना चाहिए. इसलिए यह प्रावधान किया गया है कि वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम होंगे. अंतिम फैसला अभी भी बहुमत से होगा. दो सदस्यों की वजह से बहुमत का फैसला नहीं बदलेगा. इसलिए पुराने कानून की विसंगतियों को दूर किया गया है और कानून को और न्यायसंगत बनाया गया है.’

बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के बनाए नए वक्फ कानून के दो प्रावधानों पर रोक लगा दी है. इसमें वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर रोक भी शामिल है.ये रोक अगली सुनवाई यानी कि 5 मई तक प्रभावी है. सांसद राधा मोहन दास ने उम्मीद जताई है कि उन्हें नहीं लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बदले हुए वक्फ कानून के खिलाफ होगा.

उन्होंने कहा कि ओवैसी और AIMPLB जैसे लोगों की वजह से बीजेपी को इस तरह की प्रचार अभियान की जरूरत पड़ी है. क्या आप जानते हैं कि कर्नाटक में वक्फ की जमीन पर कब्जा करने वाले लोग कौन हैं? ओवैसी के इलाके (हैदराबाद) में वक्फ की जमीन पर बने अस्पतालों को तोड़कर होटल बना दिए गए. भाजपा उन्हें बेनकाब करने के लिए यह अभियान चला रही है. ये सभी तथ्य चार पन्नों के पर्चे और 16 पन्नों की पुस्तिका में दिए गए हैं, जिन्हें हमने हर मुस्लिम परिवार में बांटने के लिए छपवाया है.

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