राम मंदिर कोष में ऐतिहासिक वृद्धि: महाकुंभ के दौरान 45 दिनों में चढ़े 30 करोड़ रुपये

अयोध्या : महाकुंभ 2025 का प्रभाव राम मंदिर पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जहां 45 दिनों की अवधि में भक्तों की श्रद्धा और आस्था का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ा. प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के लिए आए 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे पवित्र स्थलों की ओर भी रुख कर रहे थे. इस दौरान रामलला के दर्शन के लिए नित्य 4 से 5 लाख श्रद्धालु उमड़े, जिससे मंदिर के चढ़ावे में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई.

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नित्य एक करोड़ रुपये का चढ़ावा, दान पात्र भी पड़े कम

मकर संक्रांति से महाशिवरात्रि तक की अवधि में सिर्फ नकदी के रूप में 30 करोड़ रुपये रामलला के चरणों में अर्पित किए गए. मंदिर के दान पात्रों में प्रतिदिन औसतन एक करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे थे.श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा को देखते हुए दान पात्रों की संख्या 24 से बढ़ाकर 34 कर दी गई.

मंदिर प्रशासन के अनुसार, एक समय ऐसा भी आया जब सभी दान पात्र जल्दी भर जाते थे, जिसके कारण 40 से अधिक कर्मचारियों को लगातार गिनती में लगाया गया.इसके अलावा, ऑनलाइन और चेक के माध्यम से भी भक्तों ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बड़ी धनराशि भेजी.

विदेशी मुद्राओं की भी भरमार

इस बार राम मंदिर को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, जापान, इंग्लैंड, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम सहित कई देशों की मुद्राएं भी प्राप्त हुईं.इन विदेशी मुद्राओं की गिनती अभी जारी है, लेकिन शुरुआती अनुमान के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण राशि होगी.

नए वर्ष से बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या

राम मंदिर में 2025 की शुरुआत से ही श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी गई. जनवरी के पहले सप्ताह में प्रतिदिन डेढ़ लाख भक्तों ने दर्शन किए, जबकि मकर संक्रांति के बाद यह संख्या साढ़े चार से पांच लाख तक पहुंच गई. 26 जनवरी के बाद से अयोध्या में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा, जिससे रामलला के चढ़ावे में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई.

रामलला के चरणों में समर्पण की मिसाल

रामलला के प्रति भक्तों की श्रद्धा किसी महासागर से कम नहीं रही.महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर दान दिया, जिससे मंदिर का कोष नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, यह ऐतिहासिक दान न केवल भक्तों की आस्था का प्रमाण है, बल्कि मंदिर के विकास और सेवाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ यह दर्शाती है कि भक्ति, आस्था और समर्पण की परंपरा निरंतर प्रगति पर है. आगामी वर्षों में भी यह श्रद्धा इसी प्रकार प्रवाहित होती रहेगी, यही आशा की जा रही है.

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