स्कॉटलैंड की संसद में ऐतिहासिक कदम, हिंदुओं के खिलाफ नफरत मिटाने का प्रस्ताव पेश; क्या है वजह?

लंदन। स्कॉटलैंड की संसद की अल्बा पार्टी के एक सांसद ने हिंदुओं के खिलाफ नफरत के माहौल से निपटने के लिए वहां की संसद में पहला प्रस्ताव पेश किया है। ‘स्कॉटलैंड में ‘हिंदूफोबिया’ नाम की रिपोर्ट पर आधारित प्रस्ताव में हिंदुओं के खिलाफ पूर्वाग्रह, भेदभाव और उन्हें हाशिए पर डालने की कोशिशों का ब्योरा दिया गया है।
सांसद ऐश रेगन ने प्रस्ताव पेश किया, जिसमें स्कॉटिश हिंदू समुदाय के 16 हजार लोगों के कटु अनुभवों का जिक्र किया गया। यह प्रस्ताव स्कॉटलैंड के विविध समुदायों में जागरूकता बढ़ाने और अंतरधार्मिक संवाद, सामाजिक सामंजस्य और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने में उनके शोध, वकालत और सार्वजनिक भागीदारी के महत्व को भी स्वीकार करता है।

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रिपोर्ट में क्या कहा गया?

रिपोर्ट में हिंदूफोबिया के प्रत्यक्ष अनुभवों के साथ डाटा को भी शामिल किया गया। इसमें 2021 में डंडी मंदिर में नफरत भरे चित्रों के साथ तोड़फोड़ और ग्लासगो में एक हिंदू परिवार के घर पर नकाबपोश लोगों द्वारा पत्थरों और ईंटों से किए गए हमले की जानकारी दी गई। 

रिपोर्ट में दिए गए हिंदू विरोधी घटनाओं के उदाहरण

  • एडिनबर्ग में एक हिंदू नर्स को उसके धर्म के कारण पदोन्नति देने से मना कर दिया गया तथा उसे अपनी बिंदी और चूडि़यां उतारने को कहा गया तथा ग्लासगो में एक हिंदू शिक्षक पर आतंकी होने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में स्कॉटलैंड में इस्तेमाल किए जाने वाले हिंदू विरोधी शब्दों के उदाहरण भी दिए गए हैं, जैसे कि ‘गाय का मूत्र पीने वाला’ और ‘शैतान की पूजा करने वाला’।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई करीबी रिश्तेदार हिंदू से शादी करता है तो सोलह प्रतिशत स्कॉट नागरिक नाखुश होंगे। रिपोर्ट लिखने वाले गांधीवादी शांति सोसायटी के महासचिव ध्रुव कुमार ने कहा कि रेगन का प्रस्ताव एक मिसाल कायम करता है।
  • प्रस्ताव में ब्रिटेन में पंजीकृत चैरिटी संस्था गांधीवादी शांति सोसायटी के काम की सराहना की गई है, जिसकी रिपोर्ट ‘स्कॉटलैंड में हिंदूफोबिया’ 23 जनवरी को नस्ली और धार्मिक पूर्वाग्रह को चुनौती देने वाले स्कॉटिश ब्रिटिश क्रास-पार्टी समूह के समक्ष पेश की गई थी।
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