डोंगरगढ़ : दिनांक 1 जनवरी 2025 को प्रातः 9 बजे, 105 आर्यिका श्री वैराग्यमति माताजी ससंघ का डोंगरगढ़ में भव्य मंगल प्रवेश हुआ.इस अवसर पर गाजे-बाजे के साथ जगह-जगह रंगोली सजाई गई और आरती की गई. आर्यिका संघ में 105 आर्यिका श्री वैराग्यमति माताजी, 105 आर्यिका श्री सहजमति माताजी, 105 आर्यिका श्री धवलमति माताजी, और 105 आर्यिका श्री प्रशममति माताजी सम्मिलित थीं.
आर्यिका संघ का मंगल विहार डिंडोरी (मध्य प्रदेश) से अमरकंटक होते हुए डोंगरगढ़ तक हुआ.संघ ने लगभग 350 किलोमीटर की लगातार पदयात्रा करते हुए दिनांक 5 दिसंबर 2024 को डिंडोरी से विहार प्रारंभ किया था और 1 जनवरी 2025 को डोंगरगढ़ पहुंचे.
डिंडोरी में चातुर्मास संपन्न करने के बाद, डिंडोरी जैन समाज के युवा मंडल और बालिका मंडल के लगभग 15-20 सदस्यों ने आर्यिका संघ के साथ पदविहार किया.डोंगरगढ़ जैन समाज ने इनका तिलक, माला और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया.
इस अवसर पर आर्यिका श्री वैराग्यमति माताजी ने कहा कि वे पहली बार डोंगरगढ़ आई हैं.उन्होंने 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की कृपा का उल्लेख करते हुए कहा कि यहाँ के लोगों का पुण्य है कि उन्हें ऐसे गुरु का सान्निध्य प्राप्त हुआ.उन्होंने अमरकंटक तीर्थ की महत्ता पर प्रकाश डाला और आचार्य श्री की दूरदृष्टि की प्रशंसा की.अमरकंटक तीर्थ का निर्माण सम्यक दर्शन के बोध का मार्ग प्रशस्त करता है. चंद्रगिरि महातीर्थ क्षेत्र और वहां चल रहे कार्यों जैसे प्रतिभास्थली, चल चरखा, हाथकरघा, और गौशाला की भी चर्चा की.
उन्होंने आचार्य श्री के संलेखना धारण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह महातीर्थ संपूर्ण विश्व में विशेष पहचान रखता है.
प्रातः 7:30 बजे, 108 मुनि श्री आगम सागर महाराज जी के सान्निध्य में श्री दिगंबर जैन मंदिर, डोंगरगढ़ में मूलनायक 1008 श्री नेमिनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न हुई.तत्पश्चात आचार्य श्री की पूजन हुई.नये वर्ष के उपलक्ष्य में श्री जय कुमार जैन द्वारा संपूर्ण जैन समाज को स्वल्पाहार प्रदान किया गया.यह जानकारी निशांत जैन (निशु) द्वारा दी गई.