चीन के बाद HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) ने दुनिया के कई देशों में दस्तक दे दी है. इस नई बीमारी को लेकर लोगों में खौफ भी देखने को मिल रहा है. इसकी तुलना कोविड-19 से भी की जा रही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि HMPV वायरस पहली बार 2001 में पहचाना गया था.
उन्होंने कहा कि यह लंबे समय से मानव आबादी में रहा है. यह एक सामान्य वायरस है जो सर्दी और वसंत ऋतु में फैलता है. यूएन ने कहा कि यह आमतौर पर सामान्य सर्दी के जैसे सांस संबंधी लक्षण पैदा करता है.
जागरूकता फैलाने की सलाह
वहीं भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के पांच मामले सामने आने के बाद केंद्र ने राज्यों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर सांस संबंधी रोग (एसएआरआई) समेत सांस संबंधी बीमारियों के लिए निगरानी बढ़ाने तथा एचएमपीवी की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने की बैठक
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक डिजिटल बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने देश में सांस संबंधी बीमारियों और एचएमपीवी मामलों और उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का जायजा लिया गया.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि बैठक में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हुए.
भारत में पांच मामले आए सामने
यह बैठक चीन में एचएमपीवी मामलों में वृद्धि की खबरों के बीच आयोजित की गई थी तथा उसी दिन कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में एचएमपीवी के पांच मामलों की पुष्टि हुई थी. एचएमपीवी को वैश्विक स्तर पर सांस संबंधी वायरस कहा जाता है. यह एक संक्रामक रोगाणु है जो किसी भी आयु वर्ग के लोगों में सांस संबंधी संक्रमण का कारण बन सकता है.
एचएमपीवी 2001 से ही विश्व स्तर पर मौजूद
बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान यह बात दोहराई गई कि आईडीएसपी के आंकड़ों से देश में कहीं भी आईएलआई और एसएआरआई के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि के संकेत नहीं मिले हैं. बयान के अनुसार, आईसीएमआर के प्रहरी निगरानी डाटा से भी इसकी पुष्टि होती है. बयान में कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीवास्तव ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि एचएमपीवी 2001 से ही विश्व स्तर पर मौजूद है.
वायरस के संक्रमण की रोकथाम
उन्होंने राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और उसकी समीक्षा करने की सलाह दी. राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे वायरस के संक्रमण की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) तथा जागरूकता को बढ़ाएं जैसे कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को नहीं छूना, रोग के लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना और खांसते एवं छींकते समय मुंह एवं नाक को ढंकना.
बयान में कहा गया कि श्रीवास्तव ने दोहराया कि सांस संबंधी बीमारियों में आमतौर पर सर्दियों के महीनों में वृद्धि देखी जाती है और देश ऐसे मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि की आशंका को लेकर पूरी तरह तैयार है. बैठक के दौरान बताया गया कि आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाओं में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं.