जापान की दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी होंडा ने अंतरिक्ष क्षेत्र में कदम रखते हुए नया इतिहास रच दिया है। 17 जून 2025 को होंडा ने अपने पहले पुन: उपयोग किए जा सकने वाले रॉकेट (रीयूजेबल रॉकेट) का सफल परीक्षण किया। यह ऐतिहासिक टेस्ट जापान के होक्काइडो प्रांत के ताइकी टाउन स्थित होंडा की परीक्षण सुविधा पर संपन्न हुआ, जहां यह 6.3 मीटर लंबा रॉकेट आसमान में 271.4 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा और फिर मात्र 37 सेंटीमीटर की त्रुटि के साथ सटीक लैंडिंग की।
रॉकेट की तकनीकी विशेषताएं:
-
लंबाई: 6.3 मीटर
-
चौड़ाई: 85 सेंटीमीटर
-
वजन: 900 किलोग्राम (बिना ईंधन), 1312 किलोग्राम (ईंधन सहित)
-
अधिकतम ऊंचाई: 271.4 मीटर
-
उड़ान समय: 56.6 सेकंड
-
लैंडिंग की सटीकता: 37 सेंटीमीटर
-
तारीख: 17 जून 2025
-
स्थान: ताइकी टाउन, होक्काइडो
होंडा की नई दिशा: अंतरिक्ष में प्रवेश
कार, बाइक और रोबोटिक्स के क्षेत्र में मशहूर होंडा अब स्पेस टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है। कंपनी की रिसर्च डिवीजन – होंडा R&D कंपनी लिमिटेड ने इस रॉकेट को पूरी तरह जापानी तकनीक से डिजाइन और तैयार किया। टेस्ट का मकसद उड़ान के दौरान रॉकेट की स्थिरता, नियंत्रण और लैंडिंग तकनीक की जांच करना था।
ताइकी टाउन: जापान का स्पेस रिसर्च हब
होक्काइडो का छोटा सा कस्बा ताइकी टाउन अब “स्पेस टाउन” के रूप में उभर रहा है। यहां JAXA, कई निजी कंपनियां और विश्वविद्यालय मिलकर अंतरिक्ष अनुसंधान कर रहे हैं। होंडा ने 2024 से यहां रॉकेट इंजन और हवरिंग टेक्नोलॉजी का परीक्षण शुरू किया था। यह परीक्षण उसी दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
क्या होता है रियूजेबल रॉकेट?
रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) वे रॉकेट होते हैं जिन्हें कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि पारंपरिक रॉकेट उड़ान के बाद नष्ट हो जाते हैं। होंडा का यह रॉकेट 100 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाकर सीधी लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भविष्य में इसका उपयोग सैटेलाइट लॉन्च और स्पेस डेटा सर्विसेस के लिए किया जा सकता है।
होंडा का लक्ष्य: 2029 तक सबऑर्बिटल मिशन
2021 में होंडा ने अंतरिक्ष तकनीकों में निवेश की घोषणा की थी। इस सफल परीक्षण के बाद कंपनी का अगला कदम है 2029 तक सबऑर्बिटल उड़ान को हकीकत बनाना। सबऑर्बिटल फ्लाइट वह होती है जो अंतरिक्ष की कगार (लगभग 100 किलोमीटर) तक जाती है, लेकिन पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश नहीं करती। इस तकनीक से संचार, नेविगेशन और पर्यावरण निगरानी जैसी सेवाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
होंडा ने इस परीक्षण के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा:
-
1 किलोमीटर का सुरक्षा क्षेत्र निर्धारित किया गया, जहां आम लोगों का प्रवेश वर्जित था।
-
उन्नत नियंत्रण प्रणाली से रॉकेट की उड़ान, रफ्तार और दिशा पर लगातार नजर रखी गई।
-
स्थानीय प्रशासन और नागरिकों का सहयोग भी परीक्षण में शामिल रहा।
जापान का अंतरिक्ष उद्योग: तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र
जापानी सरकार ने 2030 तक अपने स्पेस इंडस्ट्री को दोगुना कर 8 ट्रिलियन येन (लगभग 55.2 बिलियन डॉलर) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए एक विशेष स्पेस वेंचर फंड बनाया गया है। टोयोटा जैसी कंपनियां भी अब इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं, जैसे कि उन्होंने ताइकी टाउन की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज में किया है।
होंडा की तकनीकी महारत
होंडा ने अपने इस रॉकेट में ऑटोमैटिक ड्राइविंग सिस्टम, इंजन कंबशन टेक्नोलॉजी और कंट्रोल सिस्टम जैसी प्रमुख तकनीकों का इस्तेमाल किया। ये वही तकनीकें हैं जिनका उपयोग कंपनी की कारों और रोबोटिक्स में होता है। इस संयोजन ने रॉकेट की स्थिरता और सटीकता सुनिश्चित की।
आगे की योजनाएं
होंडा अभी इस रॉकेट को कमर्शियल रूप से लॉन्च नहीं कर रही है, लेकिन इस टेस्ट से मिले डेटा का इस्तेमाल आने वाले डिज़ाइनों में किया जाएगा। सैटेलाइट लॉन्च, क्लाइमेट मॉनिटरिंग और स्पेस कम्युनिकेशन जैसी सेवाओं में इसका इस्तेमाल भविष्य में किया जा सकता है।
ताइकी टाउन की भूमिका और गौरव
ताइकी टाउन के लिए यह क्षण गर्व का विषय रहा। स्थानीय लोगों और प्रशासन के सहयोग से यह कस्बा अब स्पेस टेक्नोलॉजी हब बनता जा रहा है। JAXA और कई निजी कंपनियों के लगातार परीक्षण यहां इसे जापान के स्पेस मैप पर और मजबूत कर रहे हैं।
निष्कर्ष: होंडा के इस सफल रॉकेट परीक्षण ने साबित कर दिया है कि अब ऑटोमोबाइल कंपनियां भी अंतरिक्ष की दौड़ में कदम रख रही हैं। 271.4 मीटर की उड़ान और 37 सेंटीमीटर की सटीक लैंडिंग से यह परीक्षण भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बन चुका है — और होंडा के 2029 सबऑर्बिटल मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम भी।
-