मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की भयावह तस्वीर: 25 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार, OBC वर्ग सबसे अधिक प्रभावित

मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है. राज्य सरकार के रोजगार पोर्टल पर अब तक कुल 25,68,321 युवा बेरोजगार के रूप में पंजीकृत हो चुके हैं. इनमें 13.91 लाख पुरुष और 11.76 लाख महिलाएं हैं. सबसे ज्यादा बेरोजगार ओबीसी वर्ग (अन्य पिछड़ा वर्ग) के है. इनकी संख्या 10 लाख के पार है. जो कुल संख्या का लगभग 40% से ज्यादा है. इनमें 5.73 लाख पुरुष और 4.72 लाख महिलाएं शामिल हैं.

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 10.46 लाख से ज्यादा ओबीसी युवा रोजगार की तलाश में हैं. इनमें से 5.73 लाख पुरुष और 4.72 लाख महिलाएं शामिल हैं. यह संख्या अन्य सभी सामाजिक वर्गों से अधिक है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को रोजगार के अवसर सबसे कम मिल पा रहे हैं.

वर्गवार स्थिति:

ओबीसी: 10.46 लाख सामान्य वर्ग: 6.34 लाख एससी (अनुसूचित जाति): 4.69 लाख एसटी (अनुसूचित जनजाति): 4.18 लाख

कुल बेरोजगारों में 13.91 लाख पुरुष और 11.76 लाख महिलाएं हैं, जो यह दर्शाता है कि महिलाओं में भी बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है.

जिलावार बेरोजगारी: सागर सबसे ज्यादा प्रभावित

जिलों की बात करें तो सागर जिला सबसे अधिक बेरोजगारी से प्रभावित है, जहां 95,835 युवा नौकरी की तलाश में हैं. इसके बाद भोपाल (95,587), ग्वालियर (94,159), रीवा (89,326) और सीधी (86,737) का स्थान है. हैरानी की बात यह है कि भोपाल और जबलपुर जैसे विकसित शहरों में भी बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. दूसरी ओर, पांढुर्णा जिले में बेरोजगारी का स्तर सबसे कम है, जहां केवल 2,852 युवाओं ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है.

औद्योगिक जिलों की स्थिति

इंदौर और उज्जैन जैसे औद्योगिक रूप से सक्रिय जिले बेरोजगारी के शीर्ष 10 जिलों में शामिल नहीं हैं. यह संकेत करता है कि राज्य का औद्योगिक विकास अब भी सीमित क्षेत्रों तक केंद्रित है और इसका लाभ व्यापक रूप से नहीं मिल पा रहा है.राज्य सरकार के अनुसार, बीते सात महीनों में बेरोजगारी दर में 0.56% की कमी दर्ज की गई है. राज्यमंत्री गौतम टेटवाल के मुताबिक, इस अवधि में करीब 48,624 युवा या तो रोजगार पा चुके हैं या फिर राज्य के रोजगार पोर्टल से हट चुके हैं.

विपक्ष ने उठाए सवाल

हालांकि, सरकार के इस दावे को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. उनका कहना है कि आंकड़े बदलने से बेरोजगारी नहीं घटती, बल्कि युवाओं को ठोस अवसर देने होंगे.

सरकार अब इन पंजीकृत बेरोजगारों को “आकांक्षी युवा” कहकर संबोधित कर रही है. हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों आतिफ अकील और संजय उइके ने इस पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सिर्फ नाम बदलने से स्थिति में सुधार नहीं आएगा,रोजगार के ठोस अवसर देने होंगे.

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