उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में झांसी रेलवे मंडल का सबसे बड़ा अस्पताल, जहां हर रोज सैकड़ों मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. इसी बीच शुक्रवार की शाम यह अस्पताल अचानक घोड़ों का रेसकोर्स बन गया. दो घोड़े दौड़ते हुए अस्पताल के अंदर घुस गए और सीधे वार्ड से लेकर रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट और फिर CMS ऑफिस तक चक्कर लगाने लगे. इस बीच करीब आधे घंटे तक मची अफरा-तफरी ने डॉक्टर, स्टाफ और मरीजों के पसीने छुड़ा दिए.
अस्पताल में घोड़ों को भागता देख मरीज और तीमारदार सकते में आ गए. किसी को भी समझ नहीं आया कि ये अस्पताल है या कोई खेत-खलिहान. घोड़ों को अपनी ओर दौड़ते देख मरीजों और उनके परिजनों ने तुरंत वार्ड के दरवाजे को अंदर से बंद कर लिए. साथ ही डॉक्टर और नर्स भी बचाव में भागते नजर आए. करीब 30 मिनट तक पूरा रेलवे अस्पताल ‘रेस ट्रैक’ बना रहा. इसी बीच एक तीमारदार ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया.
घोड़ों ने अस्पताल में मचाया उत्पात
वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और अब हर जगह यही चर्चा है कि वीडियो में दिख रहा हॉस्पिटल रेलवे का अस्पताल कम, पशु चिकित्सालय ज्यादा लग रहा है. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो, शाम करीब 7 बजे दोनों घोड़े पुराने इमरजेंसी गेट से अस्पताल परिसर में घुस आए. पहले वे नई इमरजेंसी तक पहुंचे, वहां गेट बंद मिला तो सीधे रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर बढ़ गए.
अस्पताल में मची भगदड़
वहां से होते हुए वे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) ऑफिस तक पहुंच गए. मामला यहीं नहीं रुका, आगे बढ़कर दोनों घोड़े मेडिकल और सर्जिकल वार्ड के सामने जा धमके. इधर, घोड़ों को देखते ही मरीजों में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. परिजन डर से बच्चों और बुजुर्गों को बिस्तर से हटाकर सुरक्षित जगहों पर ले गए. किसी ने खिड़की बंद की तो किसी ने दरवाजे की कुंडी चढ़ा दी. करीब 30 मिनट तक अस्पताल में चक्कर लगाने के बाद आखिरकार घोड़े पोस्टमार्टम हाउस की ओर जाने वाले गेट से बाहर निकल गए.
CMS ने दिया बेतुका बयान
बाहर मैदान में घास देखकर वे वहीं रुक गए और आराम से खाने लगे. हालांकि, इस दौरान अस्पताल प्रशासन की ओर से न तो कोई सिक्योरिटी गार्ड दिखा और न ही किसी ने घोड़ों को बाहर निकालने की कोशिश की. पूरी घटना की शिकायत जब तीमारदारों ने CMS से की तो उनका जवाब और भी हैरान करने वाला था. एक तीमारदार से उन्होंने कहा कि मंडल चिकित्सालय में सुरक्षा व्यवस्था की फाइल अभी प्रोसेस में है.
कैटल कैचर के लिए रेलिंग लगाए जाने का प्रस्ताव भी भेजा गया है. यानी, साफ है कि जब तक फाइल पास नहीं होती, तब तक मरीजों को अपने रिस्क पर इलाज कराना होगा. सोशल मीडिया पर CMS का यह बयान अब मजाक का विषय बन गया है. इस पूरे मामले में रेलकर्मी तक तंज कस रहे हैं. वह कह रहे हैं कि अब अस्पताल में इलाज नहीं, घोड़ों का शो देखने को मिलेगा. वीडियो बनाने वाले रोहित नाम के तीमारदार ने पूरा मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड चेयरमैन, उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक, DRM झांसी और CMS से की है.
उन्होंने शिकायत में लिखा कि यह अस्पताल नहीं, पशु चिकित्सालय बन गया है. रोज आवारा कुत्ते घूमते हैं और अब घोड़े भी. कब कौन-सा जानवर मरीजों पर हमला कर दे, कोई गारंटी नहीं. रोहित ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों और बुजुर्ग मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन अधिकारियों को सिर्फ AC चैंबर में बैठकर फाइल प्रोसेस का हवाला देना आता है.