विदिशा जिले के शमशाबाद से स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शनिवार रात गेंदा वर्री गांव की ममता बाई को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिवार ने एंबुलेंस के लिए कई बार फोन किया, लेकिन मदद नहीं मिली। मजबूरी में पति शैतान सिंह और ससुर घीसा लाल उसे बाइक पर बैठाकर बरखेड़ा जागीर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन वहां ताला लटका मिला।
इसके बाद वे शमशाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर रवाना हुए। रास्ते में गिरधर मार्केट के पास ममता को तेज दर्द हुआ और उसने सड़क पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। घटना के बाद वहां मौजूद लोगों ने तुरंत मदद की। उन्होंने गद्दा और चादर उपलब्ध कराकर मां और नवजात को एक लोडिंग वाहन से अस्पताल पहुंचाया। फिलहाल दोनों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
परिजन का आरोप है कि एंबुलेंस को कई बार कॉल किया गया, लेकिन वह मौके पर नहीं पहुंची। यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुला होता, तो महिला को इस स्थिति से नहीं गुजरना पड़ता। ममता के पति ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही ने उनकी जान जोखिम में डाल दी।
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर नीतू राय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर समेत चार कर्मचारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्वास्थ्य केंद्र की नर्स और स्टाफ का कहना है कि वे समय पर ड्यूटी पर थे, लेकिन परिजन सीधे अस्पताल पहुंचे ही नहीं।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत उजागर कर दी है। जहां 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा किया जाता है, वहीं हकीकत यह है कि जरूरत पड़ने पर मरीजों को अस्पताल बंद मिलता है और एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचती। यह लापरवाही न केवल स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आम लोगों की जिंदगी को भी खतरे में डालती है।