50 रुपये जमा किए
उन्होंने अस्पताल संचालक के पास 50 रुपये जमा कर चिकित्सा शुरू करने की मिन्नत की। डॉक्टर ने अंजलि का ऑपरेशन कर बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला। किसी तरह छह हजार रुपये की व्यवस्था कर उन्होंने अस्पताल में जमा किया।
पैसों के लिए दर-दर भटकी रहीं
आसपास की कुछ महिलाओं ने बताया कि मंगलवार को पूरे दिन पैसे के लिए वह दरवाजे-दरवाजे भटकती रहीं, लेकिन कोई इंतजाम नहीं हुआ। उनके छोटे पुत्र सुबोध ने बताया कि मंगलवार की शाम करीब छह बजे मां ने सौ रुपये दिए और कहा कि हम कर्ज लेने जा रहे हैं। बुधवार को अस्पताल में जमा करा तुम्हारी भाभी को घर ले आएंगे। यह कहकर वह घर से निकल गईं।काफी देर तक नहीं लौटने पर एक रिश्तेदार ने खोज की तो पता चला कि वह पारू गई हैं। बुधवार को सुबह पानी भरे गड्ढे में शव होने की जानकारी मिली।
पति गुजरात में करता है मजदूरी:
बताते हैं कि वीणा देवी का बड़ा बेटा और अंजलि का पति संदेश दास गुजरात में रहकर मजदूरी करता है। तीन साल पहले उसकी शादी हुई थी। वहीं, वीणा की बड़ी बेटी संध्या की शादी पिछले साल हुई थी, लेकिन उसे ससुरालवालों ने छोड़ दिया है। उसके पति की मौत भी पिछले साल ही हो गई थी। उसके तीन बच्चे हैं। घटना के बाद सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। समाचार लिखे जाने तक बहू अस्पताल में ही भर्ती थी।