हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने लगे हैं. अभी तक के नतीजों और रुझानों में बीजेपी लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने की ओर बढ़ रही है. रुझानों में कांग्रेस को एक बार फिर से हरियाणा में विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ सकती है. अभी तक के आए नतीजों और रुझानों में हरियाणा बीजेपी 3 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है जबकि 44 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, कांग्रेस 3 सीट जीतने के साथ-साथ 34 सीटों पर आगे चल रही है. हरियाणा में कांग्रेस को इस नुकसान के पीछे भूपेंद्र हुड्डा के हठ को जिम्मेदार माना जा रहा है.
वोटिंग के बाद सामने आए एग्जिट पोल के सर्वे में अनुमान जताया गया था कि हरियाणा में कांग्रेस दमदार तरीके से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना सकती है, लेकिन चुनावी नतीजे और रुझान उसके उलट नजर आ रहे हैं. रुझानों से यह साफ माना जा रहा है कि हरियाणा में मोहब्बत की दुकान खोलने वाली कांग्रेस बीजेपी के सियासी समीकरण को पछाड़ने में पूरी तरह से नाकाम नजर आ रही है. हालांकि, कुछ ही घंटे में नतीजों को लेकर स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी.
लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूबने के कगार पर
हरियाणा में उदय भान जरूर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी के भीतर चलती भूपेंद्र हुड्डा की है. भूपेंद्र हुड्डा के पार्टी हाईकमान से नजदीकियां भी किसी से छिपी नहीं है. हुड्डा हरियाणा के पूर्व सीएम भी रह चुके हैं. माना जाता है कि इस बार के टिकट बंटवारे में भी हुड्डा की ही चली थी. चुनाव में राहुल गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने हुड्डा पर विश्वास किया, लेकिन अब हरियाणा में लगातार तीसरी बार कांग्रेस की नैया डूब नजर आ रही है.
टिकट बंटवारे में को लेकर जब दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस की बैठक हुई थी तब भी हुड्डा की ही चली थी. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों को टिकट दिया था. 90 में से करीब-करीब 70 सीटों पर हुड्डा के पसंद वाले उम्मीदवारों को मौका दिया गया. तब कुमारी सैलजा समेत कई नेताओं ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन अंदरूनी रूप से नाराजगी भी जताई थी, लेकिन हाईकमान ने ध्यान नहीं दिया. अब उसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिल रहे हैं.
चुनाव प्रचार में भी साफ दिखा था हुड्डा का हठ
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी हुड्डा का हठ साफ नजर आया था. हुड्डा का पूरा फोकस उन सीटों पर और उम्मीदवारों पर था जिसके लिए उन्होंने हाईकमान के सामने अपना विटो लगाया था. हालात ये हो गई है कि उनमें से भी कई सीटों पर कांग्रेस पीछे चल रही है. हुड्डा के एकतरफा चुनाव प्रचार को लेकर पार्टी के कई नेताओं ने नाराजगी भी जताई थी. नेताओं का कहना था कि हरियाणा में कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही, लेकिन हुड्डा का फोकस कुछ ही सीटों पर है.
चुनाव प्रचार के बीच सैलजा से खटपट का भी असर
शुरू के चुनाव प्रचार में कांग्रेस बेहतर तरीके से मैदान में उतरी थी, लेकिन आधी दूर तय करते-करते सीएम फेस का जिन्न बाहर आ गया. सीएम फेस को लेकर कांग्रेस साफ तौर से दो हिस्सों में बिखरी नजर आई है. एक तरफ हुड्डा तो दूसरी तरफ कुमारी सैलजा रहीं. सीएम फेस को लेकर विवाद इस कदर बढ़ गया था कि बीच प्रचार में सैलजा दिल्ली आ गईं थीं.
हालांकि, राहुल गांधी ने सैलजा और हुड्डा के बीच मीटिंग भी कराई और यह संदेश देने की पूरी कोशिश की कि पार्टी में सब ठीक है, लेकिन हाथ तो मिल गए पर दिल नहीं मिल पाए थे. इस बीच बीजेपी को बड़ा मौका मिला और उसने ओबीसी वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब रही.
हुड्डा का कमलनाथ जैसा हाल
हरियाणा में हुड्डा के साथ ठीक वैसा ही हो रहा जैसा कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के साथ हुआ था. दोनों ही नेता हाईकमान तक में अपनी पैठ रखते हैं और राहुल गांधी और सोनिया गांधी से संबंध भी अच्छे रहे हैं, लेकिन अब ये दोनों नेताओं ने कांग्रेस का पलीता लगा दिया है. पहले मध्य प्रदेश के चुनाव में कमलनाथ की सियासी रणनीति पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई थी, अब हरियाणा में हुड्डा हठ वाली राजनीति से कांग्रेस को एक बार फिर से विपक्ष में बैठना पड़ सकता है.