ज़ीका वायरस का संक्रमण एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है. जो डेंगू, चिकनगुनिया और पीले बुखार को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं. ज़ीका वायरस के हल्के लक्षण होते हैं. जीका वायरस खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं को लिए काफी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इस वायरस से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सबसे अधिक बचाव की जरूरत है. आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय के बारें में.
जीका वायरस के लक्षण
सबसे पहले युगांडा में बंदरों में पाई गई थी. और फिर मनुष्यों में यह वायरस हुई थी. तब से इसने विश्व भर में कई प्रकोपों का कारण बना है, पिछले महीने भारत में पुणे में ज़ीका वायरस का प्रकोप देखने को मिला है. इसके शुरुआती लक्षण मरीजों को तेज बुखार के साथ-साथ शरीर में चकत्ते निकलने, सिर दर्द, जोड़ों का दर्द आंखों का लाल होना, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
जीका वायरस के कारण
जीका वायरस के संक्रमण का प्राथमिक तरीका संक्रमित एडीज मच्छर, विशेष रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस के काटने से होता है. ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय खासकर सुबह और देर दोपहर में काटते हैं. वायरस गर्भावस्था के दौरान मां से भ्रूण में, रक्त आधान और संभावित रूप से ऑर्गन ट्रांसप्लांट के माध्यम से भी फैल सकता है.
जीका वायरस के बचाव
1. जीका वायरस संक्रमित मच्छरों से लोगों में फैलता है, इससे बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और घर के खिड़की दरवाजे को बंद रखें. आसपास पानी जमा न होने दे क्योंकि इससे मच्छर ज्यादा पनपते हैं.
2. अगर आप इस वायरस के शिकार हो गए हैं तो अपने पार्टनर से करीब 3 महीने तक दूरी बनाएं. अगर आप किसी जीका संक्रमित जगह से लौटे हैं तो लक्षण नहीं दिखाई देने पर भी पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध न बनाएं.
3. गर्भवती महिलाओं के लिए जीका वायरल संक्रमण खतरनाक होता है. संक्रमण मां से बच्चे में फैल सकता है. ऐसी में बच्चे का दिमागी विकास प्रभावित होता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को जीका वायरस से संक्रमित क्षेत्रों में बिल्कुल भी यात्रा नहीं करना चाहिए.