दुनिया का दादा कहा जाने वाला अमेरिका भी किसी वक्त अंग्रेजों का गुलाम था. सबसे ताकतवर देश अमेरिका पर ब्रिटिश राज था और लोगों पर खूब अत्याचार होते थे. जिस तरह से अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीयों का शोषण होता था, उसी तरह मूल अमेरिकियों को भी सहन करना पड़ता था. इसके चलते ब्रिटिशर्स और अमेरिकियों में टकराव बढ़ा और 4 जुलाई 1776 को 13 कॉलोनियों ने डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस पर हस्ताक्षर कर खुद को आजाद घोषित कर दिया.
इसी दिन अमेरिका का स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है. इसकी वर्षगांठ पर आइए जान लेते हैं कि कैसे थे अमेरिका की गुलामी के दिन और इसे कैसे आजादी मिली?
क्रिस्टोफर कोलंबस के कारण गुलाम हुआ था अमेरिका
अप्रत्यक्ष तौर पर दुनिया के कई देशों पर कब्जा किए बैठे अमेरिका को भी ब्रिटेन ने लंबे समय तक अपना गुलाम बनाकर रखा था. बताया जाता है कि क्रिस्टोफर कोलंबस भारत आने के लिए यूरोप से जब निकला था तो गलती से अमेरिका पहुंच गया था. उसी ने यूरोपीय लोगों को इस नए द्वीप के बारे में जानकारी दी तो ब्रिटेन के लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचने लगे और धीरे-धीरे पूरे द्वीप पर कब्जा कर लिया. इसके बाद शुरू हो गया ब्रिटिश लोगों का मूल अमेरिकियों पर अत्याचार.
ऐसे पड़ी औपनिवेशिक साम्राज्य की नींव
तब ब्रिटेन में जेम्स प्रथम का शासन था और अमेरिका में ब्रिटिश औपनिवेशक साम्राज्य की नींव उसी के शासनकाल में रखी गई थी. कोलंबस से मिली सूचना के आधार पर इस नए द्वीप यानी अमेरिका पर ब्रिटेन ने 13 कॉलोनियां बना लीं. इन सभी को चीनी, चायपत्ती, कॉफी और स्प्रिट जैसे सामान इंपोर्ट करने के लिए काफी ज्यादा टैक्स देना पड़ता था. साथ ही आम लोगों तक को अंग्रेजों का अत्याचार झेलना पड़ता था.
इसलिए धीरे-धीरे अमेरिका की मूल निवासी जनता यानी रेड इंडियन के बीच अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा पनपने लगा. ब्रिटिश शासन के खिलाफ बढ़ते असंतोष के कारण अमेरिकियों ने ग्रेट ब्रिटेन से अलग होने का निर्णय लिया और ब्रिटिश कॉलोनियों से अपनी स्वाधीनता की घोषणा कर दी. तब तारीख थी दो जुलाई 1776.
चार जुलाई 1776 को की थी आजादी की घोषणा
इसी के तहत 4 जुलाई 1776 को 13 कॉलोनियों के लोगों ने डिक्लियरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस (आजादी के घोषणा पत्र) को अपनाने के लिए वोट डाला. इस घोषणा पत्र पर लोगों ने साइन किए और खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया. इन सबमें कॉन्टिनेंटल कांग्रेस की अहम भूमिका थी. इसके सदस्यों में थॉमस जेफरसन, जॉन एडम्स,रोजर शरमन, बेंजामिन फ्रैंकलिन और विलियम लिविंगस्टन आदि थे. इन लोगों ने ही कॉन्टिनेंटल कांग्रेस कमेटी के सभी सदस्यों से सलाह-मशविरा करके इस घोषणा पत्र का मसौदा बनाया था.
अमेरिकी स्वाधीनता संग्राम के नायक के रूप में जॉर्ज वाशिंगटन उभरे थे, जो बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति भी बने. ऐसे ही बेंजामिन फ्रैंकलिन भी अमेरिकी राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे थे.
चूंकि अमेरिकी की 13 कॉलोनियों ने मिलकर 4 जुलाई 1776 को आजादी की घोषणा यानी डिक्लियरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस को अपनाया था, इसीलिए हर साल चार जुलाई को अमेरिका अपना स्वाधीनता दिवस मनाता है. इसी दिन अलग-अलग इन 13 कॉलोनियों में बंटा अमेरिका एकजुट हुआ था और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका) का गठन किया गया था. हालांकि, अमेरिका का स्वाधीनता संघर्ष वास्तव में साल 1783 ईस्वी में पेरिस की संधि के अनुसार खत्म हुई थी.
आजादी की लड़ाई में गई थी हजारों लोगों की जान
अमेरिका की आजादी की लड़ाई खत्म हुई तब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी थी. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि स्वाधीनता संग्राम के लिए सैन्य सेवा के दौरान 25 हजार से 70 हजार के बीच अमेरिकियों की मौत हुई थी. इनमें से करीब सात हजार लोगों की मौत तो सीधे स्वाधीनता संग्राम में हुई थी, जबकि 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान बीमारी के कारण चली गई थी. बीमारी के कारण मरने वाले ज्यादातर वे अमेरिकी थे, जिनको स्वाधीनता संघर्ष के दौरान अंग्रेजों ने पकड़ कर न्यूयॉर्क हार्बर के जेल जहाजों में रखा था.