‘मोहम्मद निसार’ कैसे बना निजलिंगा स्वामी? संत की असली पहचान से लिंगायत मठ में बवाल, गोल टोपी की तस्वीरों ने खोला सच

कर्नाटक के चामराजनगर जिले के मठ के प्रमुख निजलिंगा स्वामी के मुस्लिम समुदाय से होने का खुलासा हुआ है. यह मामला सामने आते ही लोगों के बीच बहस का विषय बन गया है. यादगीर जिले के शाहपुर के रहने वाले निजलिंगा स्वामी का नाम मोहम्मद निसार है. यह मामला जैसे ही उजागर हुआ, चौदहल्ली के ग्रामीणों में व्यापक आक्रोश फैल गया.

इसके बाद बढ़ते विवाद को देख स्वामी ने मठ से इस्तीफा दे दिया है और मठ से बाहर चले गए. अब इस मामले पर उनकी मां ने खुलासा किया है कि मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद निसार कैसे निजलिंगा स्वामी बन गए.

बचपन से था शौक

कलबुर्गी जिले के कलगी तालुक के राजपुर गांव की रहने वाली मोहम्मद निसार की मां रेहाना बेगम ने बताया की उनके बेटे को 5वीं कक्षा से लिंग की पूजा करने का शौक था. वह बचपन में लिंग को घर लाता था और उसकी पूजा करता था. हालांकि मैने कई बार उसे मना किया था, लेकिन फिर भी वह जिद करता था कि वह पूजा करेगा. उन्होंने बताया कि 7वीं कक्षा के बाद वह बसवकल्याण चला गया और वहां स्वामी के साथ रहे.

पिता के मरने पर नहीं गये घर

वह पिछले कई सालों से घर नहीं आया है. जब उसके पिता की मौत हुई, तो वो अंतिम संस्कार में नहीं आया. वो अपनी बहन की शादी में भी नहीं आया. उन्होंने कहा वह कभी गलत काम नहीं कर सकता है. जो लोग उसे नहीं जानते, वो उस पर इल्ज़ाम लगा रहे होंगे. उसने कहा कि वो ये सोचकर ज़िंदगी जी रहे हैं कि वो हमारे लिए मर चुका है.

क्या बोले शिक्षक?

निसार अहमद के स्कूल के शिक्षक ने कहा कि निसार अहमद अपने छात्र जीवन के दौरान अध्यात्म में रुचि रखते थे. वह अध्यात्म पर चर्चा करते थे. उन्होंने कहा कि वे हमारे स्कूल से 2020 में SSLC की परीक्षा पास की थी. इससे पहले, वह कहते थे कि उन्होंने लिंगदीक्षा ली है. अंत में, वह अपनी मार्कशीट लेने स्कूल आए. उस समय, उन्होंने कहा कि वह कवि के रूप में तैयार होकर स्कूल आए थे.

वे अपने छात्र जीवन में वचन लिखा करते थे. उन्होंने कई वचन भी लिखे थे. हालाँकि उर्दू उनकी बोलचाल की भाषा थी, फिर भी उन्होंने कन्नड़ अच्छी तरह सीखी थी. वे कन्नड़ में भी वचन लिखा करते थे. उन्होंने बताया कि कुछ लोग उनके लिंगदीक्षा लेने के खिलाफ थे.

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