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अस्पताल में डॉक्टर के शव के पास ये 3 शख्स कैसे पहुंचे… कोलकाता कांड के पीछे है कोई और?

कोलकाता के रेप-मर्डर केस को लेकर पूरे देश में रोष व्याप्त है. लोग सड़कों पर हैं और आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं. महिला ट्रेन डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था. उसके माता-पिता बाहर इंतजार कर रहे थे. उन्होंने साढ़े तीन घंटे का इंतजार किया. उन्हें अपनी बेटी से मिलने नहीं दिया गया. आखिरकार मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्हें लड़की देखने की इजाजत दी गई. पीड़िता की मां ने कोर्ट में यही दावा किया. इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है.

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जिस जगह ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव मिला था वहां पत्रकारों सहित डॉक्टरों के भी जाने पर बैन है, लेकिन उस दिन सेमिनार रूम में कई ‘बाहरी’ लोग देखे गए हैं, जिन्हें उस समय वहां नहीं होना चाहिए था. सेमिनार रूम के अंदर का वीडियो हमारे सहयोगी TV9 बांग्ला के हाथ लगा. हालांकि वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकी है. वीडियो सामने आने के बाद ये कोलकाता कांड एक नया मोड़ ले सकता है.

ये 3 संदिग्ध घटनास्थल पर कैसे पहुंचे?

वीडियो में शांतनु डे सेमिनार रूम के बाहर नजर आ रहे हैं. वह एक वकील है. स्वास्थ्य भवन के एक वर्ग के मुताबिक, शांतनु डे आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के मददगार (शैडो पार्टनर) है, सवाल उठ रहा है कि घटनास्थल पर वह क्या कर रहा था? घटनास्थल पर संदीप घोष का करीबी फॉरेंसिक डॉक्टर देबाशीष सोम भी देखा गया है. उससे सोमवार को निजाम पैलेस में पूछताछ की गई है. वह आरजी कर अस्पताल का कर्मचारी नहीं है, लेकिन घटना के तुरंत बाद उसे सेमिनार रूम में देखा गया.

घटनास्थल पर तीसरे शख्स प्रसून चटर्जी को भी देखा गया है. वह भी आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का शैडो पार्टनर है. स्वास्थ्य भवन के एक वर्ग के अनुसार, वह प्रसून नेशनल मेडिकल कॉलेज में डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करता है. इन तीन शख्स के घटनास्थल पर होने की वजह से सवाल खड़ा हो रहा है. सवाल ये है कि तीनों शख्स वहां कैसे पहुंचे, उन्हें किसने बुलाया था, क्या कोई योजना चल रही थी, क्या सबूतों को नष्ट करने की कोशिश हुई?

क्या बोला वकील शांतनु डे?

TV9 बांग्ला ने वकील शांतनु डे से संपर्क किया. उनका तर्क यह था कि वह उस दिन आर्थोपेडिक बाह्य रोगी क्लिनिक में आए थे, लेकिन वह अस्पताल की पर्ची नहीं दिखा सका. ध्यान दें कि संदीप घोष एक ऑर्थोपेडिक सर्जन भी हैं.

घटना स्थल पर बाहरी लोग कैसे पहुंचे, इस सवाल के जवाब में मेडिकल कम्युनिटी का हिस्सा डॉक्टर सुबर्णा गोस्वामी ने कहा, ‘जल्दबाजी में शव को जलाने से लेकर सबूत मिटाने की कोशिश की गई. वहां के डॉक्टरों ने हमें बताया कि उस दिन सेमिनार रूम में कौन आया था, वहां किसे बुलाया गया था? संदीप घोष सिंडिकेट चलाता है. हम सीजीओ कॉम्प्लेक्स पर छापेमारी करेंगे, उन्हें जांच के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा है.’

डॉक्टरों ने क्या लगाए आरोप?

डॉक्टर सजल बिस्वास ने कहा, ‘सुबह-सुबह हम देखते हैं कि सत्ताधारी दल के प्रभावशाली डॉक्टर के रूप में जाने जाते हैं, वे अस्पताल आते हैं. यहां तक ​​कि सेमिनार कक्ष में भी बैठकें कीं, जहां शव मिला था. इनमें से कोई भी मेडिकल लीडर ड्यूटी पर नहीं है. स्वास्थ्य विभाग का कोई उच्च पदस्थ अधिकारी भी नहीं. वे वहां क्यों गए इसकी जांच होनी चाहिए.’

डॉ. उत्पल बनर्जी ने कहा, ‘जहां सुधार के नाम पर बर्बरता की गई, वहीं घटनास्थल पर पड़ोस में तोड़फोड़ की गई. हम जानते थे कि वर्तमान इंजीनियर बिना वर्क ऑर्डर के काम नहीं करना चाहते, लेकिन उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया गया. उस दिन जो अधिकारी मौजूद थे वे जांच में देरी करना चाहते थे.’ वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा, ‘मुझे डर है कि शतरंज का खिलाड़ी असल में शतरंज का खिलाड़ी है. यह विश्वास नहीं हो रहा है कि एक नागरिक स्वयंसेवक ने बिना किसी को देखे एक डॉक्टर की हत्या कर दी. चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, अस्पताल के डॉक्टर तक पहुंचना कैसे संभव है?’ हालांकि, तृणमूल नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, ‘हम देखते हैं, जब पड़ोस में कोई गले में रस्सी डालता है तो उसके अगल-बगल रहने वाले लोग भी घर में आकर खड़े हो जाते हैं. यह एक प्राकृतिक मानवीय प्रवृत्ति है.’

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