ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन से मिले हथियारों, मिसाइलों का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया. इनमें से कुछ मिसाइल तो टारगेट पर पहुंचकर फुस्स हो गए और फटे ही नहीं. चीन का PL-15E रडार संचालित बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल ऐसा ही एक हथियार है.
भारत की सेना ने इस मिसाइल को अपने हवाले कर लिया है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ईर्ष्यालु पड़ोसी की भावना रखने वाले चीन को ये बात हजम ही नहीं हो रही है कि उसका कथित तौर पर सुपर ब्रांड का मिसाइल नाकाम रहा है.
चीन की सेना से जब भारत पाकिस्तान के बीच हालिया लड़ाई के दौरान चीनी हथियारों के परफॉर्मेंस पर सवाल पूछा गया तो वे बंगले झांकने लगे. चीनी की प्रवक्ता की घिग्घी बंधने लगी. उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्हें कुछ नहीं सूझा तो वे डिप्लोमेसी पर ज्ञान देने लगे. बता दें कि इस टकराव के बाद 20 दिन गुजर चुके हैं, लेकिन चीन को कोई उत्तर देते नहीं बन रहा है.
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग जियाओगांग से पत्रकारों ने उस PL-15E मिसाइल के बारे में सवाल पूछा जिसे चीन अपना सबसे एडवांस रॉकेट बताता है. लेकिन इस एडवांस रॉकेट का इस्तेमाल जब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किया तो ये फटा ही नहीं. भारतीय अधिकारियों ने एक पूरा साबूत PL-15E मिसाइल बरामद किया. 9 मई 2025 को ये मिसाइल पंजाब के होशियारपुर में मिला था. इस मिसाइल से पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था.
इस मिसाइल पर जब चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग जियाओगांग से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “आपने जिस मिसाइल का उल्लेख किया है, वह एक निर्यात किया जाने वाला हथियार है और इसे कई बार देश-विदेश में रक्षा प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया जा चुका है.” कर्नल झांग ये नहीं बता पाए कि उनके देश का सबसे प्रीमियम प्रोजेक्ट रियल वार सिचुएशन में फटा ही क्यों नहीं.
PL-15E पर चीन के दावे जान लीजिए
बता दें कि चीन PL-15E को एक उन्नत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाला मिसाइल बताता है. इसे चीन के 607 इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है और इसे चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (CASIC) बनाती है. चीन का दावा है कि यह मिसाइल सक्रिय रडार-निर्देशित है, जिसमें डुअल-पल्स सॉलिड-प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर है, जो इसे Mach 5 से अधिक गति और 145 किमी तक की रेंज देता है.
यह मिसाइल JF-17 ब्लॉक III और J-10CE जैसे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों पर तैनात है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने J-10C से ही भारत पर हमला किया था. लेकिन बड़े-बड़े वायदों के साथ चीन से पाकिस्तान गया ये चाइनीज माल जरूरत के वक्त फटा ही नहीं.
चीन कहता है कि इस मिसाइल का उपयोग हाई-वैल्यू हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए किया जाता है. चीन का दावा है कि AESA रडार और टू-वे डेटालिंक इसे सटीक और मिड-कोर्स अपडेट यानी कि लॉन्चिंग किए जाने बाद भी बदलाव किए जाने के लायक बनाते हैं.
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग ने अपने मिसाइलों के परफॉर्मेंस पर पूछे गए सवाल को टालते हुए डिप्लोमेसी पर ‘ज्ञान’ देने लगे. उन्होंने कहा, “झांग ने कहा कि भारत और पाकिस्तान ऐसे पड़ोसी हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता. हम आशा करते हैं कि दोनों पक्ष शांत और संयमित बने रहेंगे तथा स्थिति को और अधिक जटिल बनाने वाली कार्रवाई से बचेंगे.”
झांग ने भारतीय अधिकारियों के इस दावे से जुड़े सवालों को टाल दिया कि चीन ने सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान को हवाई रक्षा और सैटेलाइन सहायता प्रदान की तथा चीनी हथियार प्रणालियों ने औसत से कम प्रदर्शन किया.
7 मई को पाकिस्तान पर भारत के जवाबी हमले के बाद चीनी रक्षा मंत्रालय की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल झांग ने कहा कि चीनी पक्ष एक व्यापक और स्थायी युद्धविराम प्राप्त करने तथा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने में रचनात्मक भूमिका जारी रखने के लिए तैयार है. चीन का रक्षा मंत्रालय महीने में एक बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है.
चीन और पाकिस्तान के रक्षा संबंधों की गहरी प्रकृति को देखते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच इस टकराव पर चीनी मीडिया, चीनी एक्सपर्ट और थिंक टैंक की पैनी नजर थी. क्योंकि पाकिस्तान ने इस जंग में चीइनीज मेड हथियारों का खूब इस्तेमाल किया. हालांकि पाकिस्तान को इसमें निराशा ही मिली. चीन में बने मिसाइल डिफेंस सिस्टम HQ-9 भारत के किसी मिसाइल को रोक नहीं पाए और भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को तहस नहस कर दिया.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, जिसने 2020 से 2024 तक पाकिस्तान ने जितने हथियार खरीदे उसमें 81 प्रतिशत हिस्सा इसने चीन से खरीदा है.
इस रक्षा खरीद में नवीनतम जेट लड़ाकू विमान, रडार, नौसैनिक जहाज, पनडुब्बियां और मिसाइलें शामिल थीं. दोनों देश संयुक्त रूप से J-17 विमान बनाते हैं, जो पाकिस्तान वायु सेना (PAF) का मुख्य आधार है.