Bangladesh Hindu Temple: बांग्लादेश में हिंसा, विरोध प्रदर्शन और अजारकता (Bangladesh Violence) से हालात अस्थिर है. हालात बेकाबू होकर इतने बिगड़ गए कि देश की कमान संभालने वाली शेख हसीना (sheikh hasina) को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा.
बांग्लादेश सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध वाला देश है. भले ही यहां कि अधिकांश आबादी मुस्लिम (Muslim) है लेकिन यहां कई हिंदू और हिंदू मंदिर (Hindu Mandir) भी हैं, जो सांस्कृतिक विधिवधताओं का अहम हिस्सा है.
बांग्लादेश के हिंदू मंदिर कालात्मक उत्कृष्टता, धार्मिक भक्ति और सद्भावना के रूप में उभरकर सामने आते हैं. बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) के शांत द्वीप से लेकर ढाका की चहल-पहल वाली सड़कों तक.. यह मौजूद सभी मंदिरों की एक अनूठी कहानी और इतिहास है. यहां मौजूद मंदिरों की जटिल बनावटें पूर्वजों के अविश्वसनीय कला-कौशल का प्रमाण देते हैं.
आइये जानते हैं बांग्लादेश के कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों के बारे में जिनकी खूबसूरत रचनाओं के पीछे छिपी है अनोखी कहानी और गहरा इतिहास.
बांग्लादेश का प्राचीन इतिहास हिंदू धर्म से जुड़ा है. यहां पाल वंश और सेन वंश जैसे हिंदू शासकों का शासन हुआ करता था, जिन्होंने कई हिंदू मंदिरों के निर्माण बांग्लादेश में करवाए थे.
ये मंदिर आज भी प्रसिद्ध धार्मिक धरोहर के रूप में जाने जाते हैं. आइये जानते हैं यहां के हिंदू मंदिरों के बारे में (Bangladesh Famous Hindu Temple)–
कांताजी मंदिर (Kantaji Temple Dinajpur): कांताजी या कांतानगर मंदिर बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर से केवल 12 किमी की दूरी पर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ के संरक्षण में करवाया गया था. कांताजी मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कला के लिए जानी जाती है
यह मंदिर भगवान कृष्ण (Lord Krishna) और रुक्मिणी को समर्पित है. कांताजी मंदिर एक ऊंचे मंच पर खड़ा था. लेकिन दुर्भाग्य से 1897 में आए भूकंप (Earthquake) से मंदिर के शिखर नष्ट हो गए. लेकिन फिर भी मंदिर में महाभारत (Mahabharat) और रामायण (Ramayan) जैसे हिंदू पुराणों के दृश्य को बयां करने वाले टेरोकोटा कला अंकित हैं.
ढाकेश्वरी मंदिर (Dhakeshwari National Temple): बांग्लादेश की राजधानी ढाका (Dhaka) में ढाकेश्वरी मंदिर है. इसे यहां का राष्ट्रीय मंदिर कहा जाता है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बलाल के कराया था. 1996 में आधिकारिक तौर पर यह राष्ट्रीय मंदिर (National Temple) के रूप में नामित हुआ. यह मंदिर हिंदू देवी ढाकेश्वरी को समर्पित है, जिसे देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है और यहां दुर्गा पूजा (Durga) का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है.
यशोरेश्वरी काली मंदिर (Jeshoreshwari Kali Temple): यह मंदिर सतखीरा जिले में है जोकि मां काली (Maa Kali) को समर्पित है. यहां काली पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.
बता दें कि बांग्लादेश में हजारों की संख्या में मंदिर हैं. लेकिन इनमें से कई मंदिरों की स्थिति चिंतनीय है. कुछ मंदिर तो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में इसलिए हैं क्योंकि इन्हें उचित देखभाल और संरक्षण नहीं मिला. तो वहीं समय-दर-समय मंदिरों पर हुए अतिक्रमण और हमले भी कारण बनें.
वर्तमान में बांग्लादेश में बिगड़ते हालात और मंदिरों पर हमले किए जाने की घटना भी बेहद निराशाजनक है. क्योंकि बांग्लादेश में स्थित हिंदू मंदिर यहां की धार्मिकता और सांप्रदायिक सौहार्द की पहचान है.