दिल्ली के कमला मार्केट थाने में सोमवार सुबह को भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत राजधानी की पहली FIR दर्ज की गई है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने और बिक्री करने के आरोप में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ नए कानून प्रणाली की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसी बहाने आइए जानते हैं कि नए कानून में रेहड़ी-पटरी लगाने को लेकर क्या नियम हैं और जुर्म साबित होने पर क्या सजा है.
1 जुलाई 2024 से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव हो रहा है. इस तारीख से अंग्रेजों के शासनकाल में बने कानून प्रणाली की जगह तीन आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लेंगे. अब आपराधिक मामलों का फैसला इन कानूनों से होगा.
New criminal laws come into force, first case registered
The first FIR registered in Delhi today against a street vendor for selling goods by obstructing the path of New Delhi Railway Station foot over bridge.#NewCriminalLaw #NewLaws #MondayMotivation #Delhi #मानवसेवा pic.twitter.com/TrobM3bPLn
— Vayam Bharat (@vayambharat) July 1, 2024
भारतीय न्याय संहिता 2023 का पहला मामला, रेहड़ी-पटरी लगाने पर कितनी सजा?
पुलिस ने FIR में आरोपी का नाम पंकज कुमार बताया गया है. पंकज के खिलाफ मुख्य सड़क के पास ठेले पर तंबाकू और पानी बेचने का आरोप है. ऐसा करने से यात्रियों को बाधा और परेशानी हो रही थी. जब उस इलाके में गश्त कर रही पुलिस ने आरोपी को अपना ठेला हटाने के लिए कहा, तो उसने अधिकारियों की बात अनसुनी कर दी.
पुलिस ने ठेला लगाने वाले शख्स पर भारतीय न्याय (दूसरी) संहिता (BNS2) की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया है. इस धारा में कहा गया है-
‘जो कोई भी कुछ ऐसा काम करता है जिससे किसी सार्वजनिक रास्ते या नेविगेशन की सार्वजनिक लाइन में किसी भी व्यक्ति को खतरे, बाधा या चोट पहुंचती है, तो उसे दंडित किया जाएगा. अगर कोई अपनी चीज या संपत्ति से जुड़े आदेश की अनदेखी करता है, तो वो भी दंडित किया जाएगा. ‘
इस धारा में अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसे 5 हजार रुपए तक का फाइन देना पड़ सकता है. चूंकि, हालिया मामले में आरोपी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज से ठेले को हटाने के आदेश को अनसुना कर दिया, इसलिए उसे धारा 285 के तहत 5 हजार रुपए फाइन देना पड़ सकता है.
पुराने कानून में रेहड़ी-पटरी लगाने पर थी कितनी सजा?
पुराने कानून यानी इंडियन पीनल कोड में भी सार्वजनिक रास्तों को रोकना एक अपराध था. इंडियन पीनल कोड की धारा 283 में कहा गया था, ‘जो कोई भी किसी सार्वजनिक रास्ते या नेविगेशन की सार्वजनिक लाइन में किसी भी व्यक्ति को खतरे, बाधा या चोट पहुंचाता है, तो उससे फाइन वसूलकर दंडित किया जाएगा.’ यह फाइन ज्यादा से ज्यादा 200 रुपए तक हो सकता था. नए कानून में फाइन की लिमिट बढ़कर 5 हजार रुपए हो गई है.
रेहड़ी-पटरी वालों के पास कौन-कौन से अधिकार?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(जी) हर देशवासी को कोई भी पेशा या व्यापार या व्यवसाय करने का अधिकार देता है. इसलिए रेहड़ी-पटरी वालों को भी अपनी पसंद का व्यापार या कारोबार करने का मौलिक अधिकार है. इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 21 में उन्हें अपनी आजीविका के संरक्षण का अधिकार मिला हुआ है.
मौलिक अधिकार होने के मतलब यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति मनमाने तरीके से ठेला लगा सकता है. स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 एक ‘स्ट्रीट वेंडर’ को परिभाषित करता है, ‘एक व्यक्ति जो सड़क, लेन, फुटपाथ पर लेख, सामान, खाद्य पदार्थ, या रोजमर्रा के उपयोग के माल की वेंडिंग करता है, या आम जनता को सेवाएं प्रदान करता है.’ इसमें स्ट्रीट वेंडर के लिए नियम और दिशानर्देश दिए गए हैं, जिसमें रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को फीस देकर लाइसेंस लेना पड़ेगा. यह लाइसेंस तीन साल के लिए वैध रहेगा. अगर कोई आवंटित जगह के अलावा कही और सामान बेच रहा है या कोई और दिशानिर्देश का उल्लंघन करता है तो उसका लाइसेंस रद्द हो जाएगा.