पूरी दुनिया इस वक्त ट्रंप टैरिफ की मार से गुजर रही है, लेकिन अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पोर्ट्स (Adani Ports and Special Economic Zone Ltd.) पर ट्रंप की पॉलिसीज का बेहद सीमित असर देखने को मिलेगा, ये कहना है कंपनी के अधिकारियों का.
इस हफ्ते HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमें समिट के दौरान मैनेजमेंट ने एनालिस्ट्स को बताया कि भारतीय ट्रेड के लिए अमेरिकी कार्गो का हिस्सा बहुत छोटा है, इसलिए टैरिफ का असर भी कम होगा.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
HSBC ने एक नोट में कहा, “मैनेजमेंट ने बताया कि भले ही टैरिफ के कारण भारत से अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट कम हो, लेकिन भारत अन्य देशों से इसकी भरपाई कर सकता है. खासतौर से APSEZ के लिए, प्रभाव और भी सीमित होगा’.
राष्ट्रपति ट्रंप ने ऑटो इंपोर्ट पर 25% टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है, जो कि 2 अप्रैल से लागू होगा. 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ की व्यापक घोषणा की उम्मीद है. अमेरिका का ये फैसला व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में उठाया गया कदम है. हालांकि, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने संकेत दिया है कि कुछ बिजनेस पार्टनर्स को टैरिफ में छूट या कटौती मिल सकती है.
लॉजिस्टिक्स बिजनेस का विस्तार
अदाणी पोर्ट्स एक इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स सर्विसे प्रोवाइडर भी बनना चाहता है और अपने लॉजिस्टिक्स बिजनेस के लिए अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों में कुछ छोटे M&A का संचालन करेगा.
अदाणी ग्रुप की कंपनी को अगले पांच साल में घरेलू बंदरगाहों में 45,000-50,000 करोड़ रुपये और अपने लॉजिस्टिक्स बिजनेस के लिए 15,000-20,000 करोड़ रुपये के कैपेक्स की उम्मीद है. इसका मतलब है कि हर साल 12,000-14,000 करोड़ रुपए का कैपेक्स होगा.
HSBC ने कहा कि अपनी मजबूत कैश पोजीशन को देखते हुए, अदाणी पोर्ट्स अपने आंतरिक कैश फ्लो से कैपेक्स को पूरा करने में सक्षम होगा. HSBC ने अदाणी पोर्ट्स पर अपनी ‘BUY’ रेटिंग बनाए रखी और इसका लक्ष्य मूल्य 1,600 रुपये रखा, जो पिछली क्लोजिंग के मुकाबले 35% की बढ़ोतरी को दर्शाता है.