वाराणसी: दीवाली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, सबसे ज्यादा जरूरी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा की खरीदारी है, हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इसे दिवाली या दीपोत्सव भी कहा जाता है. इस दिन खास तौर पर धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि, इस दिन नई मूर्ति की पूजा विधि विधान से करना चाहिए. इससे उत्तम फल की प्राप्ति होती है लेकिन जब आप बाजार से मूर्ति खरीदने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो आपकी पूजा खराब हो सकती है.
आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
माता लक्ष्मी की मूर्ति
मूर्ति खरीदते समय ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति जुड़ी हुई नहीं होना चाहिए. दोनों अलग-अलग होना चाहिए. साथ ही लक्ष्मी-गणेश बैठी हुई अवस्था में हों क्योंकि खड़ी हुई अवस्था में मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है. मां लक्ष्मी का एक हाथ आशीर्वाद देने वाला हो और वहीं दूसरे हाथ में कमल होना चाहिए. साथ ही धन की देवी खुद भी कमल पर बैठी हुई होना चाहिए.
गणेश जी की मूर्ति
जब आप माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की मूर्ति खरीद रहे हों तो ध्यान रहे कि, बप्पा की सूंड बाईं ओर होना चाहिए. इसके अलावा उनके एक हाथ में मोदक या लड्डू होना चाहिए. यही नहीं भगवान गणेश का वाहन मूसक भी साथ में होना चाहिए.
मिट्टी की मूर्ति और रंग
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति हमेशा मिट्टी से बनी हुई लेना चाहिए क्योंकि इसे सबसे शुभ माना गया है. लेकिन, इस बात का ध्यान रहे कि मूर्ति कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए क्योंकि उसका नकारात्मक प्रभाव आप पर पड़ सकता है. साथ ही कभी भी मूर्ति काले और सफेद रंग की नहीं खरीदना चाहिए.