अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है. वोट डाले जा रहे हैं. ऐसे में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने भी इस प्रक्रिया में भाग लिया. उन्होंने स्पेस से ही अपने पसंदीदा कैंडिडेट को वोट दिया
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से सुनीता विलियंस समेत नासा के अन्य एस्ट्रोनॉट ने भी स्पेस से वोट डाले हैं. अंतरिक्ष यात्रियों ने कमला हैरिस और ट्रंप में से अपने पसंदीदा कैंडिडेट को चुनने के लिए न सिर्फ मतदान किया बल्कि और लोगों से भी वोट डालने की अपील की.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर वर्तमान में नासा के 4 अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं. इनमें सुनीता विलियम्स भी हैं जो यान में खराबी आने की वजह से ISS पर फंसी हुई हैं, इसके अलावा स्पेसएक्स क्रू-9 के डॉन पेटिट, निक हेग, बुच विल्मोर भी हैं. सुनीता विलियम्स ने वोट देने को जिम्मेदारी बताया और स्पेस से ऐसा कर पाने के अनुभव को अनोखा बताया. सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर दोनों ही 5 जून से आईएसएस पर फंसे हुए हैं.
स्पेस से वोट डालने की क्या है प्रक्रिया?
नासा ने ग्रह से बाहर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को चुनाव में भाग लेने के लिए नासा अंतरिक्ष संचार और नेविगेशन कार्यक्रम में सुविधा प्रदान की है. इसके तहत जब कोई एस्ट्रोनॉट किसी मिशन पर जाता है तो उसे पहले ही मतदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है, इसके लिए एस्ट्रोनॉट को संघीय पोस्टकार्ड आवेदन भरना होता है. यह एप्लीकेशन अन्य नागरिक भी भर सकते हैं जो या तो देश के काम के लिए बाहर हैं या फोर्स में हैं जो किसी और देश में तैनात हैं. सुनीता विलियम्स जब स्पेस में गईं थीं तब उन्हें नहीं पता था कि वह चुनाव तक वहां रुकेंगी. इसलिए उन्होंने आवेदन नहीं कर पाया था. हालांकि वह फंसी हुई हैं, इसलिए उन्हें ये मौका दिया गया है.
स्पेस में कैसे डाले जाते हैं वोट?
सबसे पहले नासा यह जांच करता है कि क्या किसी मिशन पर गए एस्ट्रोनॉट से इतना संपर्क है कि वह समय सीमा के अंदर वोट डाल सके. इसके लिए ह्यूस्टन में स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर को एक टेस्ट मतपत्र भेजा जाता है, वहां से इसे आईएसएस तक एस्ट्रोनॉट तक भेजा जाता है और ये परखा जाता है कि क्या एस्ट्रोनॉट वोट डालकर मतपत्र को वापस भेजने में सक्षम है. अगर यह परीक्षण में पास हो जाता है तो ही असली मतपत्र को भेजा जाता है.
कैसे पूरी होती है प्रक्रिया
एस्ट्रोनॉट तक बैलेट पेपर पहुंचने के बाद वह मतदान करता है. उसके बाद इस बैलेट के एन्क्रिप्टड वर्जन को आईएसएस के कंप्यूटर सिस्टम से अपलोड किया जाता है. नासा के TDRS यानी टैकिंग एंड डाटा रिले सैटेलाइट की मदद से यह न्यू मैक्सिको स्थित ग्राउंड टर्मिनल तक पहुंचता है. यहां से लैंडलाइन की मदद से ये ट्रांसमिट होकर नासा के ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस स्टेशन तक जाता है और वहां से यह काउंटी क्लर्क तक पहुंचता है जो इसे गिनती में शामिल करता है.
भेजा जाता है एन्क्रिप्टड बैलेट पेपर
एस्ट्रोनॉट तक असली बैलेट पेपर को एन्क्रिप्टड करके भेजा जाता है. मतपत्र को हर एस्ट्रोनॉट के पास अलग-अलग भेजा जाता है और हर व्यक्ति का अलग कोड होता है. यह एक इलेक्ट्रॉनिक मतपत्र होता है जिस पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही भरकर वापस ईमेल के माध्यम से भेजा जाता है. क्लर्क के पास भी हर मतपत्र का अलग पासवर्ड होता है जो ये सुनिश्चित करता है कि वोट से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हुई.
सुनीता विलियम्स पहले भी डाल चुकी हैं स्पेस से वोट
स्पेस से वोट पहले भी डाले जा चुके हैं, सबसे पहले 1997 में डेविड वोल्फ ने स्पेस से मतदान किया था. इसके बाद से लगातार एस्ट्रोनॉट इसका पालन कर रहे है. सुनीता विलियम्स इससे पहले दो बार 2016 और 2020 में भी ऐसा कर चुकी हैं. सुनीता विलियम्स और विच अब 2025 तक तक इंटरनेशल स्पेस स्टेशन पर रहेंगे.