वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश किया. बजट में कई तरह के ऐलान किए गए हैं, जिसमें 1 करोड़ छात्रों को इंटर्नशिप देने का भी वादा किया गया है. निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि सरकार 1 करोड़ युवाओं को 500 टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप देगी. बजट में हुए इस ऐलान के बाद अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर किन छात्रों को इसमें मौका मिलेगा, कैसे चयन होगा और किस तरह से किन लोगों को पैसे मिलेंगे. तो जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब…
सरकार ने देश में रोजगार और कौशल विकास क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन देने के लिए इसका ऐलान किया है. सरकार की इस पहल में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप दी जाएगी और ये इंटर्नशिप 500 बड़ी कंपनियों में मिलेगी. इंटर्नशिप प्रोग्राम के जरिए छात्रों को करियर के शुरुआत में ही सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी. सरकार की ओर से इस प्लान के लिए 1.48 लाख करोड़ का बजट दिया जाएगा.
इंटर्नशिप प्रोग्राम में उन छात्रों को मौका मिलेगा, जिन्होंने फुल-टाइम कोर्स किया हो और उनकी उम्र 21 से 24 साल के बीच हो. साथ ही हर कंपनी की प्रोफाइल के हिसाब से इंटर्नशिप की योग्यता तय की जाएगी.
इस स्कीम में उन छात्रों को मौका नहीं मिलेगा, जिन्होंने IIT, IIM, IISER से पढ़ाई की है. इसके अलावा जिन छात्रों के पास CA या CMA जैसी डिग्री है. इसके अलावा अगर परिवार का कोई सदस्य अगर सरकारी कर्मचारी है या इनकम टैक्स के दायरे में आता है तो इंटर्नशिप योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा.
शुरुआती जानकारी के हिसाब से इस प्रोग्राम में कौनसी कंपनियां शामिल होंगी, इसका फैसला कंपनियां ही करेंगी. पहले कंपनियां इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए पहल करेंगी, उसके बाद उन्हें लिस्ट में शामिल किया जाएगा.
इंटर्नशिप के लिए ऑनलाइन अप्लाई करना होगा, जिसके बारे में विस्तृत जानकारी आना बाकी है.
बता दें कि इस प्लान में सेलेक्ट होने वाले हर छात्र को 5000 रुपये प्रति माह इंटर्नशिप स्टाइपेंड मिलेगा. इसके अलावा एक बार की सहायता के रूप में 6000 रुपये अलग से दिए जाएंगे. ये स्कीम दो चरणों में चलाई जाएगी, जिसमें पहला फेज दो साल के लिए होगा और दूसरा फेज 3 साल के लिए होगा. छात्रों पर ट्रेनिंग का खर्चा कंपनी की ओर से किया जाएगा. इसके साथ ही इंटर्नशिप का 10 फीसदी खर्चा कंपनी अपने CSR फंड में से देगी.
CSR का मतलब कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी होता है. दरअसल, कंपनियों को अपने बिजनेस से होने वाले प्रॉफिट का कुछ हिस्सा समाजिक और पर्यावरण संबंधी कार्यों में खर्च करना होता है. बड़े कंपनियां अपने कुल लाभ का 2% सीएसआर के लिए खर्च करती हैं. जो विदेशी कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, वो कंपनियां भी ये फंड बनाती है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है, ‘वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र 2024 से सीख ली है. उनका इंटर्नशिप कार्यक्रम स्पष्ट रूप से कांग्रेस के प्रस्तावित प्रशिक्षुता कार्यक्रम पर आधारित है, जिसे हमने पहली नौकरी पक्की कहा था. लेकिन, उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क शैली में इसे हेडलाइन बनाने के लिए डिज़ाइन किया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में सभी डिप्लोमा धारकों और स्नातकों के लिए प्रोग्रामेटिक गारंटी थी, जबकि सरकार की योजना में मनमाने ढंग से लक्ष्य (1 करोड़ इंटर्नशिप) रख दिया गया है.