कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने पर बवाल मचा हुआ है. आज कर्नाटक विधानसभा से जो तस्वीरें सामने आई वो चौंकाने वाली थी. दरअसल, बीजेपी विधायक इस कोटे का विरोध कर रहे थे, इसे लेकर बीजेपी विधायकों को मार्शलों ने उठा-उठाकर बाहर फेंक दिया. कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के घोर विरोध के बीच मुस्लिमों के लिए सरकारी ठेकों में 4 फीसदी आरक्षण विधेयक पारित हो गया. इसके साथ ही सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया.
कर्नाटक विधानसभा में हंगामे के चलते 18 विधायकों को निलंबित कर दिया गया. इन सदस्यों पर स्पीकर के आदेशों की अवहेलना करने, अनुशासनहीन और असम्मानजनक आचरण करने का आरोप लगाया गया है.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इन MLAs को किया गया निलंबित
1- डोड्डनगौड़ा एच. पाटिल (विपक्ष के मुख्य सचेतक)
2. डॉ. अश्वथ नारायण सी.एन.
3. एस.आर. विश्वनाथ
4. बी.ए. बसवराज
5. एम.आर. पाटिल
6. चन्नबसप्पा (चन्नी)
7. बी. सुरेश गौड़ा
8. उमनाथ ए. कोट्यान
9. शरणु सलागर
10. डॉ. शैलेन्द्र बेलदले
11. सी.के. राममूर्ति
12. यशपाल ए. सुवर्णा
13. बी.पी. हरीश
14. डॉ. भारत शेट्टी वाई.
15. मुनीरथ्ना
16. बसवराज मट्टीमूड
17. धीरज मुनीराजु
18. डॉ. चंद्रु लामानी
निलंबन की अवधि के दौरान इन सदस्यों पर ये प्रतिबंध होंगे लागू
– विधानसभा हॉल, लॉबी और गैलरी में प्रवेश पर रोक
– किसी भी स्थायी समिति की बैठकों में भाग लेने की अनुमति नहीं
– इनके नाम से विधानसभा एजेंडे में कोई विषय सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा
– इनके द्वारा जारी किसी भी निर्देश को स्वीकार नहीं किया जाएगा
– निलंबन अवधि में समिति चुनावों में मतदान का अधिकार नहीं होगा
– इस अवधि के दौरान दैनिक भत्तों से वंचित रहेंगे
क्या है मामला?
बता दें कि कर्नाटक कैबिनेट ने शुक्रवार को कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (KTPP) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इसके तहत 2 करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों के 4 प्रतिशत ठेके और 1 करोड़ रुपये तक के गुड्स/सर्विसेस के ठेकों को मुसलमानों के लिए आरक्षित किए गए थे. इसी पर अब बीजेपी भड़की हुई है.
हाल ही में बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने पार्टी मुख्यालय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बीजेपी इस असंवैधानिक कदम का कड़ा विरोध करती है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई में लिया गया ये फैसला कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, विशेष रूप से राहुल गांधी के इशारे पर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए उठाया गया है.