जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद मंगलवार को पहली बार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी धड़े ने बैठक की. इसमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के शीर्ष नेतृत्व ने हिस्सा लिया. उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान हुर्रियत सदस्य अब्दुल गनी भट और बिलाल गनी लोन जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस की नई सरकार का गठन हुआ है. जम्मू कश्मीर में बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच हुर्रियत की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. पिछले साल से राज्य में हुर्रियत नेताओं की गतिविधियां और बैठकें बंद चल रही थीं. समझा जा रहा है कि अलगाववादी खेमा बदलाव की राह पकड़ सकता है. हालांकि, इस बैठक के बाद हुर्रियत नेताओं का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
मीरवाइज ने एक्स पर पोस्ट किया वीडियो
मीरवाइज ने अपने आवास पर हुई इस बैठक का एक वीडियो सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने लिखा, ‘अल्हम्दुलिल्लाह! पांच साल से ज्यादा समय बाद मुझे अपने प्रिय सहयोगियों प्रोफेसर साहब, बिलाल साहब और मसरूर साहब के साथ बैठने का मौका मिला. एक भावनात्मक अनुभव, जिसमें जेल में बंद सहयोगियों की कमी महसूस हुई. लेकिन प्रिय प्रोफेसर साहब को इस उम्र में अच्छी स्थिति में देखकर खुशी हुई.’
Alhumdulilah! After more than five years, I got a chance to be together with my dear colleagues Professor sb, Bilal sb and Masroor sb. An emotional experience of different feelings, including missing colleagues in jail. But happy to see dear Prof sb in good spirits and an alert… pic.twitter.com/ArpYYakjxx
— Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) October 22, 2024
जम्मू कश्मीर में 2018 से अलगाववादी संगठनों और उनके नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार लगातार एक्शन ले रही है और उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है. कई नेता विभिन्न मामलों में जेल में बंद हैं. कुछ नजरबंद किए गए हैं. उदारवादी गुट के नेताओं की भी पांच साल में ना कभी बैठक हुई और मुलाकात हो सकी है.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के नेताओं ने अलगाववाद की राजनीति से किनारा कर मुख्यधारा की सियासत में वापसी की राह पकड़ ली थी और चुनाव भी लड़ा है.
कौन हैं मीरवाइज उमर फारूक?
उमर फारूक, कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. उनका जन्म 23 मार्च 1973 को हुआ था. मीरवाइज, कश्मीर में काफी दिनों से चला आ रहा इस्लामी धर्मगुरुओं का एक ओहदा है. श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज ही होते हैं. उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक की हत्या होने के बाद 17 साल की उम्र में ही उन्हें मीरवाइज बनाया गया था. बता दें कि उमर फारूक को टाइम मैग्जीन के द्वारा एशियाई हीरोज की लिस्ट में भी शामिल किया जा चुका है.
2019 में किया गया था हाउस अरेस्ट
उमर फारूक को अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद सितंबर 2023 में उन्हें रिहा किया गया. चार साल की नजरबंदी से रिहाई होने के बाद उमर फारूक ने अपने अलगाववादी गठबंधन के रुख को दोहराया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए. कश्मीर के लोग समुदायों और राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन रखते हैं. इस दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितो का भी जिक्र किया था और कहा था कि हमने हमेशा अपने पंडित भाइयों को घाटी लौटने के लिए आमंत्रित किया है. हमने हमेशा इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने से इनकार किया है. यह एक मानवीय मुद्दा है.