हैदराबाद: भारतीय सेना को मिला अपाचे हेलीकॉप्टरों का पहला जत्था, जोधपुर में होगी तैनाती

भारतीय सेना के लिए अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों का पहला जत्था मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को संयुक्त राज्य अमेरिका से हिंडन एयरबेस पर पहुंच गया। यह जानकारी भारतीय सेना ने सोशल मीडिया X पर साझा की और इसे सेना के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। सेना ने कहा कि ये अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की परिचालन क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ाएंगे।

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तीन अपाचे हेलीकॉप्टरों का यह पहला बैच 15 महीने की देरी से मिला है, जिसे अब जल्द ही जोधपुर में तैनात किया जाएगा। दरअसल, मई 2024 में इनकी डिलीवरी होनी थी, लेकिन इसे 2025 जुलाई में प्राप्त किया गया। दूसरा बैच नवंबर 2025 में भारत पहुंचने की उम्मीद है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ से टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिसमें डिलीवरी प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की गई थी।

यह डिलीवरी फरवरी 2020 में भारत और अमेरिका के बीच हुए 800 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत की गई है, जिसके अंतर्गत भारतीय सेना को छह AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर मिलेंगे। इनसे पहले भारतीय वायुसेना को वर्ष 2015 में अलग सौदे के तहत 22 अपाचे हेलीकॉप्टर मिल चुके हैं।

अपाचे AH-64E को दुनिया का सबसे एडवांस और शक्तिशाली अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसे “हवा में टैंक” कहा जाता है। यह प्रति मिनट 600-650 राउंड फायर कर सकता है। इसका अधिकतम उड़ान वजन 23,000 पाउंड (10,432 किग्रा) और अधिकतम उड़ान गति 279+ किमी प्रति घंटा है। यह हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक संचार, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों से लैस है।

1984 में AH-64A से शुरू होकर आज के AH-64E तक अपाचे हेलीकॉप्टर 1,280 से अधिक यूनिट्स में ऑपरेशनल हैं और पांच मिलियन से ज्यादा उड़ान घंटे पूरे कर चुके हैं, जिनमें से 1.3 मिलियन युद्ध क्षेत्र में हुए हैं। यह अमेरिकी सेना के साथ-साथ मिस्र, ग्रीस, भारत, इजराइल, जापान, कोरिया, कतर, यूएई और यूके जैसे कई देशों की रक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।

इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी बोइंग द्वारा किया गया है, जिसने 1984 में पहला अपाचे हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना को सौंपा था और अब तक 2700 से अधिक हेलीकॉप्टर विभिन्न देशों को दिए जा चुके हैं।

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