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ऐसा कहा है तो मुझे खेद नहीं… हाईकोर्ट जज के बयान का VHP प्रमुख ने किया समर्थन

विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के विवादित संबोधन देने का मामला सुर्खियों में छा गया है. कुछ लोग उनके बयान पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने भी जज के संबोधन की आलोचना की है. इस बीच विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने जज के शेखर यादव के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि ऐसे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे.

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दरअसल विश्व हिंदू परिषद के लीगल सेल एवं हाईकोर्ट इकाई के प्रांतीय सम्मेलन में बीते रविवार को जस्टिस शेखर यादव ने समान नागरिक संहिता समेत अन्य मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा था कि ये हिंदुस्तान है और यहां रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. यही कानून है. जज ने कहा था क़ानून बहुसंख्यक से ही चलता है. समाज में जहां ज्यादा लोग होते हैं, जो कहते है उसी बात को माना जाता है.

‘कठमुल्ले देश के लिए खतरनाक’

इसके साथ ही जज ने अपने संबोधन के दौरान कठमुल्ले शब्द का भी इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा था कि कठमुल्ले देश के लिए खतरनाक हैं. जो कठमुल्ला हैं, शब्द गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं. जनता को बहकाने वाले लोग हैं. देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं. ऐसे में उनसे सावधान रहने की जरूरत है. जज का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसको लेकर लोगों ने उनकी काफी आलोचना की है.

‘हम जजो से VHP के लिए काम करने की उम्मीद नहीं करते’

वहीं विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख का कहना है कि वह प्रयागराज बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन इस बारे में जानते हैं. उन्होंने कहा कि हमने जज को समान नागरिक संहिता पर बोलने के लिए वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया था. हम पूर्व जजों के बीच काम करते हैं, उन्हें विहिप और हिंदुत्व के लिए काम करने के लिए आमंत्रित करते हैं. लेकिन जहां तक मौजूदा न्यायाधीशों का सवाल है, हम उनसे विहिप के लिए काम करने की उम्मीद नहीं करते. कभी-कभी समान नागरिक संहिता जैसे विषयों पर प्रकाश डालने के लिए हम उन्हें आमंत्रित करते हैं.

‘समान नागरिक संहिता भारत की एकता के लिए अच्छा’

उन्होंने कहा कि इसलिए समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर हाई कोर्ट के जज ने बैठक में कहा कि यह राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत एक संवैधानिक आदेश है. उन्होंने कहा कि यह उम्मीद की जानी चाहिए कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए. कुमार के मुताबिक उन्होंने (जज) हाईकोर्ट के अलग-अलग निर्णयों का हवाला दिया, जिसमें जोर दिया गया था कि सरकारों को एक समान नागरिक संहिता विकसित करनी चाहिए और कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के पूर्ण एकीकरण और भारत की एकता के लिए अच्छा होगा.

‘जज ने कुछ आपत्तिजनक नहीं कहा’

विहिप नेता ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के जज द्वारा ‘बहुमत’ पर की गई टिप्पणियों की वास्तविक प्रकृति की जानकारी नहीं है, लेकिन यदि जजने बहुमत के बारे में ऐसा कहा भी हो, तो मुझे इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगता. कुमार ने कहा कि हमने जज को समान नागरिक संहिता पर बोलने के लिए आमंत्रित किया था. मैं उनके विचारों को प्रमाणित नहीं कर पाऊंगा, फिर भी बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशीलता की तरह ही सम्मान मिलना चाहिए.

विहिप नेता ने कहा कि भारत में इस्लाम के मानने वाले तकनीकी रूप से अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उनकी अच्छी संख्या को देखते हुए, वो भारत में दूसरे नंबर पर बहुसंख्यक हैं. इसलिए, जब तक हम परस्पर सम्मान नहीं करते, या सम्मान नहीं तो कम से कम एक-दूसरे की संवेदनशीलता के प्रति आपसी सहिष्णुता विकसित नहीं करते, तब तक कोई एकीकरण नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अगर जज ने ऐसा कुछ कहा है, तो मुझे इसके लिए खेद नहीं होगा अगर बहुमत का कोई खास दृष्टिकोण है, तो दूसरों को इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.

‘आगे भी आयोजित किए जाएंगे ऐसे कार्यक्रम’

कार्यक्रम में एक मौजूदा न्यायाधीश को आमंत्रित किए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि हम अपने कानूनी प्रकोष्ठ से हिंदू मंदिरों की मुक्ति, वक्फ अधिनियम के प्रावधानों एवं संशोधनों और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर वकालत करने के लिए बड़ी संख्या में वकीलों को आमंत्रित करते हुए जागरूकता सत्र या बैठकें आयोजित करने को कहते हैं. इसलिए हर जगह बैठकें होती रहेंगी और न पहलुओं पर बोलने के लिए पूर्व न्यायाधीशों को आमंत्रित करेंगे.

जज शेखर यादव के आचरण की जांच की मांग

इस बीच वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भारत सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जज जज शेखर यादव के आचरण की ‘इन-हाउस जांच’ की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि जज यादव ने यूसीसी का समर्थन करते हुए एक भाषण दिया, विवादास्पद टिप्पणी की, जिसे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाला माना जाता है.

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