रांची: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर नामकुम में शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. इसके अलावा प्रदेश के राज्पपाल और सीएम हेमंत सोरेन भी शामिल हुए.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में राज्यपाल के रूप में अपने छह वर्षों के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि यहां के लोगों ने मुझे अपार स्नेह दिया है. लाह, रेजिन और गोंद की खेती से किसानों का जीवन स्तर सुधारा जा सकता है. राज्यपाल के रूप में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि एक बार जब वे पलामू गयीं तो लोगों ने बताया कि उस इलाके का नाम पलामू भी बहुतायत में पलाश, लाह और महुआ की खेती की वजह से पड़ा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि लाह की खेती में अधिकतर जनजातीय महिलाएं जुड़ी हैं. जरूरत है कि शोध और नए नए तकनीकों का लाभ लाह की खेती में लगे किसानों को मिले. राष्ट्रपति ने कहा कि जो बहनें खेती करती हैं, उनके उत्पाद जैसे सब्जियों पर लाह की कोटिंग कर कैसे उसे स्टोर करने की अवधि बढ़ाई जा सकती है. इस पर भी विचार करना चाहिए.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मैं अपने राज्यपाल कार्यकाल के दौरान इस संस्थान में आई थी. वर्ष 2017 में मैंने इस संस्थान द्वारा आयोजित ‘किसान मेला’ का उद्घाटन किया था. उस समय मैंने लाख उत्पादन में अच्छा कार्य कर रहे किसानों को सम्मानित किया था. उससे पहले भी मैं इस संस्थान की लैब, रिसर्च फार्म और म्यूजियम में आयी थी. पिछले 100 वर्षों से इस संस्थान ने लाह, रेसिन एवं गोंद के वैज्ञानिक उत्पादन में सराहनीय कार्य किया है.
देवियो और सज्जनो, हमारे देश के कई राज्यों में लाह (लाख) की खेती की जाती है. भारत के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक लाख उत्पादन झारखंड में होता है. भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समाज द्वारा किया जाता है. यह जनजातीय समाज की आय का एक महत्वपूर्ण साधन है. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान ने लाह, प्राकृतिक रेसिन और गोंद के अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ इन उत्पादों के व्यावसायिक विकास के लिए कदम उठाए हैं. स्मॉल स्केल लाख प्रोसेसिंग यूनिट एवं इंटीग्रेटेड लाख प्रोसेसिंग यूनिट का विकास; लाख आधारित प्राकृतिक पेंट, वार्निश और कॉस्मेटिक उत्पादों का विकास; फलों, सब्जियों और मसालों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का विकास; ये सभी प्रयास व्यावसायिक विकास के अच्छे उदाहरण हैं. ये सभी कदम जनजातीय भाइयों और बहनों के जीवन-स्तर को सुधारने और उनके समावेशी विकास में मदद करेंगे.
मुझे बताया गया है कि इस संस्थान द्वारा लोगों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. किसानों और उद्यमियों की विशिष्ट समस्याओं के समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि हाल ही में यहां प्रोसेसिंग एंड फूड इंजीनियरिंग तथा एग्रीकल्चर केमिकल के पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के कोर्स शुरू किए गए हैं. मैं आशा करती हूं कि ये पाठ्यक्रम कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के उत्कृष्ट विशेषज्ञों का निर्माण करेंगे.
सेकेंड्री एग्रीकल्चर पर विशेष जोर
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आज भी बहुत सी समस्याएं बनी हुई हैं, बहुत से किसान भाई-बहन गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं. कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के साथ-साथ, 21वीं सदी में कृषि के समक्ष तीन अन्य बड़ी चुनौतियां हैं. खाद्य और पोषण सुरक्षा को बनाए रखना, संसाधनों का टिकाऊ उपयोग तथा जलवायु परिवर्तन, द्वितीयक कृषि से जुड़ी गतिविधियां इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती हैं.
द्वितीयक कृषि के अंतर्गत प्राथमिक कृषि उत्पाद के वैल्यू एडिशन के साथ ही मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, कृषि पर्यटन जैसी कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियां भी आती हैं. इसके विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है. यदि रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध होंगे तो लोग आर्थिक कारणों से गांव नहीं छोड़ेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.
द्वितीयक कृषि गतिविधियों के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों यानि waste-material का भी सही प्रयोग किया जा सकता है. उनको प्रसंस्कृत करके उपयोगी तथा मूल्यवान वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा. साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी. द्वितीयक कृषि, वेस्ट टू हेल्थ का एक अच्छा उदाहरण है. दो वर्ष पहले, सितंबर 2022 में, इस संस्थान के कार्य क्षेत्र में विस्तार किया गया है. इसका नाम Indian Institute of Natural Resins and Gums से बदलकर National Institute of Secondary Agriculture कर दिया गया है. सेकेंड्री एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने की दिशा में यह दूरगामी कदम है. इस संस्थान ने लाख, प्राकृतिक रेसिन एवं गोंद के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है.
मैं आशा करती हूं कि सेकेंड्री एग्रीकल्चर से संबंधित अन्य गतिविधियों में भी यह संस्थान अग्रणी भूमिका निभाएगा तथा भारत ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित करेगा. सेकेंड्री एग्रीकल्चर के विकास के लिए इस संस्थान को अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए. आपके अनुभव का लाभ अन्य संस्थानों को मिलना चाहिए. इस संस्थान ने लाख की खेती से जुड़े परिवारों के प्रशिक्षण के लिए अच्छे कार्य किए हैं. अब आपको अपने व्यापक कार्य-क्षेत्र के अनुसार सेकेंड्री एग्रीकल्चर में भी अधिक से अधिक लोगों को बेहतर प्रशिक्षण देना है. मैं सभी किसान भाइयों और बहनों, संस्थान से जुड़े सभी लोगों तथा यहां उपस्थित अन्य सभी लोगों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं.
पीपुल गवर्नर के रूप में राष्ट्रपति की झारखंड में पहचान- राज्यपाल
राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम को राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मैं जिन इलाकों में अभी तक गया हूं, हर जगह एक बात कॉमन है कि राज्य की राज्यपाल के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ने वालीं द्रौपदी मुर्मू ने पीपुल गवर्नर के रूप में पहचान बनाई. वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आज किसानों के लिए सिर्फ बड़ी बड़ी बातें होती हैं, कागजों पर खुशहाल किसान का आंकड़ा भी दिखा देते हैं लेकिन हकीकत उससे काफी अलग है. आज किसानों की स्थिति और समस्याएं जस की तस हैं. आज हम इस बात पर गौरवांवित हो रहे हैं कि देश में कुल लाह उत्पादन का 55% झारखंड में उत्पादन होता है. लेकिन इस पर कोई चिंतन नहीं करता कि हम कुल 70% उत्पादन से 55% पर कैसे आ गए.
महिला किसान लखपति दीदी ही क्यों, करोड़पति दीदी क्यों नहीं- सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज हम लखपति दीदी बनाने की बात कर रहे हैं. मेरा सवाल है कि लखपति दीदी की बात क्यों करोड़पति दीदी की बात क्यों नहीं. सदियों से हमारी संवेदनाएं किसानों के प्रति रही है आगे भी रहेगा. आंकड़े देखें तो पिछले सौ साल में किसान खेतिहर मजदूर होते गए, ऐसा क्यों हुआ. इसपर केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर चिंतन करने की जरूरत है.
आज देश में बिचौलियों की जमात शक्तिशाली- हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज देश में बिचौलिये शक्तिशाली हो गए हैं. किसानों को भी उसका नुकसान हो रहा है. उनकी उपज का लाभ बिचौलियों को मिल रहा है. मौसमी फसल के साथ-साथ वैकल्पिक खेती को भी राज सरकार बढ़ावा दी है जबकि हमारी सरकार ने लाख की खेती को कृषि का दर्जा भी दे दिया है. इस भौतिक युग में किसानों को जीवित रखना बहुत जरूरी है.
भारत का इतिहास जितना पुराना है लाह- शिवराज सिंह चौहान
राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना इतिहास लाख का है महाभारत काल में भी लाक्षागृह से ही बना था. कृषि को बढ़ाने में लाह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और आने वाला दिन विविधीकरण और कृषि वानिकी का ही है. लाह की प्रोसेसिंग और सेकेंडरी उत्पाद बनाकर इसकी कीमत बढ़ाई जा सकती है. लाह की खेती से लखपति दीदी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना में भी सहायता मिल सकती है. केंद्र सरकार की योजना क्लस्टर आधारित खेती, प्रसंस्करण पर जोर और लाह उत्पादन में लागत के साथ 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर MSP तय करने की है. उन्होंने कहा कि रांची को कृषि शिक्षा और शोध में बेहतरीन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.