मैं भी पीड़ित रहा हूं, PM और राष्ट्रपति की तस्वीरें आती हैं लेकिन… CJI के प्रोटोकॉल मामले में बोले उपराष्ट्रपति धनखड़

देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे में प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ. मुंबई पहुंचने पर उनकी अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे अधिकारी नहीं पहुंचे. इस पर उन्होंने चिंता जताई. इस मामले पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बड़ी और गंभीर बात कही है. उन्होंने कहा, मैं भी पीड़ित रहा हूं. कई बार आप राष्ट्रपति और पीएम का फोटो देखते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति का फोटो नहीं देखते हैं.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा,आज सुबह मुझे जानकारी मिली, जो कि बहुत चिंताजनक है. देश के चीफ जस्टिस के प्रोटोकॉल को लेकर, सीजेआई ये विषय सामने लाए हैं. अपने लिए नहीं बल्कि जिस पद पर हैं उसके लिए. ये नहीं भूलना चाहिए कि प्रोटोकॉल फंडामेंटल है. कई मामलों में मैं भी सफरर रहा हूं. पीएम और राष्ट्रपति की तस्वीरें आती हैं लेकिन मेरी नहीं. सीजेआई का यह व्यक्तिगत मामला नहीं है बल्कि देश के मुख्य न्यायाधीश की पोजीशन का है.

कार्रवाई ऐसी हो दो कि नजीर बने

जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम लिए बगैर उपराष्ट्रपति ने इस मामले की त्वरित जांच की बात की. उन्होंने कहा कि दो महीने हो गए अभी तक मनी ट्रेल, सोर्स का पता नहीं चला. न जाने पूर्व में ऐसे कितने मामले हुए होंगे, सच्चाई सामने आए. उन्होंने कहा कि कार्रवाई ऐसी हो दो कि नजीर बने. हमें ज्यूडिशरी की रक्षा करने की जरूरत है. हमारे जज कठिन स्थिति में काम करते हैं. उन्हें असुरक्षित नहीं होने देना है.

अब बदलाव का समय आ गया है

उपराष्ट्रपति ने कहा, 1991 के के. वीरास्वामी फैसले पर फिर से विचार करने का समय आ गया है. इस अभेद्य आवरण की उत्पत्ति 1991 के. वीरास्वामी मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले से हुई है. अब बदलाव का समय आ गया है और मुझे वर्तमान सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है, जो प्रतिष्ठित और ईमानदार लोगों का है. बहुत कम समय में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ने दिखा दिया है कि आम लोगों के लिए चीजें सुखद हैं.

अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा, न्यायपालिका की रक्षा करने की जरूरत है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे न्यायाधीशों को कमजोर न बनाया जाए क्योंकि वो निडर होकर फैसले लेते हैं. वो सबसे कठिन काम करते हैं. वो कार्यपालिका में शक्तियों से निपटते हैं. वो उनसे निपटते हैं जिनके पास बहुत आर्थिक ताकत और संस्थागत अधिकार हैं. इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए. हमें अपना तंत्र विकसित करना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश के सम्मान में था समारोह

बता दें कि महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल की ओर से रविवार को सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश गवई के सम्मान में एक समारोह का आयोजन था. इस मौके पर महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी अनुपस्थिति रहे. इस पर सीजेआई ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीन स्तंभ न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका समान हैं. संविधान के हर अंग को दूसरों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए.

प्रोटोकॉल में कुछ भी नया नहीं है

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, अगर देश के मुख्य न्यायाधीश पहली बार महाराष्ट्र का दौरा कर रहे हैं और राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त को वहां उपस्थित रहना उचित नहीं लगता है, तो उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है. प्रोटोकॉल में कुछ भी नया नहीं है. ये एक संवैधानिक संस्था से दूसरी संवैधानिक संस्था के प्रति सम्मान का मामला है.

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