भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, जो अगले महीने 10 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं, ने अपने कार्यकाल को लेकर कुछ भावुक बातें कहीं. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने देश की सेवा पूरे समर्पण के साथ की, लेकिन इस बात की चिंता और डर है कि इतिहास उनके कार्यकाल को कैसे देखेगा.
भूटान के जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में अपने विचार रखते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं खुद से सवाल करता हूँ… क्या मैंने वो सब किया जो मैंने सोचा था? इतिहास मेरे कार्यकाल को कैसे याद करेगा? क्या मैं कुछ बेहतर कर सकता था? मैं आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या छोड़कर जा रहा हूँ?’
उन्होंने कहा कि इन सवालों का जवाब उनके हाथ में नहीं है और शायद उन्हें इनका जवाब कभी न मिले. लेकिन उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से वे हर दिन पूरी निष्ठा के साथ काम करते रहे हैं और रात को इस संतोष के साथ सोए हैं कि उन्होंने अपने देश के लिए ईमानदारी से काम किया.
CJI ने कहा कि रिटायरमेंट के समय उनके मन में भविष्य और अतीत को लेकर कई चिंताएं हैं. उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि अपने सफर में कभी भी पीछे हटने और खुद से सवाल करने में न डरें. उन्होंने कहा, ‘जीवन में मंजिल पर पहुंचने की जल्दी से ज्यादा जरूरी है कि आप अपने सफर का आनंद लें और उद्देश्यपूर्ण जीवन जिएं.’
CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले आए और उन्होंने न्याय व्यवस्था में तकनीकी और प्रशासनिक सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए. उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQIA+ को न्याय प्रणाली में शामिल करने के लिए भी पहल की. उन्होंने कहा कि एक अच्छा नेता वही होता है जो नतीजों पर नहीं, बल्कि सफर पर ध्यान देता है. CJI चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट में पदभार संभाला था.