भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए. दोनों देशों में बहुत कुछ एक जैसा है और वहां कुछ चीजें भारत से उलट हैं. हर कोई ये जानना चाहता है कि आखिर पाकिस्तान में लोगों का जीवन कैसा है और पाकिस्तान के लोग भारत के बारे में क्या सोचते हैं. ऐसे में इस तरह के सवालों का जवाब जानने के लिए हमने बात की एक शख्स से, जो कई बार काम के सिलसिले में पाकिस्तान जा चुके हैं. तो जानते हैं कि आखिर उनका पाकिस्तान में क्या काम होता है, वहां का जीवन भारत से कितना अलग है और उनके क्या अनुभव रहे हैं…
मिलिए पंकज से…
हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं, उनका नाम हैं पंकज. पंकज अपने काम के सिलसिले में अक्सर भारत से बाहर रहते हैं. कभी बांग्लादेश तो कभी दुबई तो कभी जिम्बॉब्वे. पंकज काम को लेकर कई देशों की यात्रा कर चुके हैं. वे एक निजी कंपनी में ग्राफिक ऑपरेटर का काम कर रहे हैं. क्रिकेट समेत अलग-अलग गेम के ब्रॉडकास्ट में उनका ग्राफिक ऑपरेटर का काम रहता है और स्क्रीन पर दिखने वाले ग्राफिक्स का ऑपरेशन वे ही करते हैं.
कैसा है आपका काम?
पंकज बताते हैं, मैं ग्राफिक ऑपरेटर के तौर पर काम करता हूं. जब भी कोई मैच आता है तो आप देखते होंगे कि कभी स्क्रीन पर आपको स्कोरबोर्ड नजर आता है तो कभी किसी खिलाड़ी के पुराने आकंड़े. इसके अलावा कभी किसी शॉट का रिप्ले देखने को मिलता है. ये सभी काम हम लोग ही करते हैं. हम ग्राफिक्स के जरिए आप तक मैच के हाइटलाइट्स, स्कोरकार्ड, रिकॉर्ड, पॉइंट टेबल आदि आप तक पहुंचाते हैं. हम एक पीसीआर रूम में काम करते हैं, जहां हमें अलग-अलग सोर्स से फीड मिलती रहती है और हम फिर तय करते हैं कि क्या स्क्रीन पर दिखाया जाएगा. इसके अलावा ग्राफिक्स की कोई डिमांड होती है तो वो तैयार करवाते हैं.’
पाकिस्तान में क्या होता है काम?
पंकज ने बताया, ‘अगर पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान में भी हम एक लीग की ब्रॉडकास्टिंग टीम में रहते हैं. उस लीग के मैचों में ग्राफिक से जुड़ा काम हमारा होता है. हमें वहां ब्रॉडकास्टिंग के लिए जगह मिलती है, जहां से हम मैच की ब्रॉडकास्टिंग का काम करते हैं. काम वो ही होता है, जो हर देश में होता है. पाकिस्तान में एक लीग में हमारी टीम काम करती है, जिस सिलसिले में कभी-कभी पाकिस्तान जाना हुआ है.
वहां के लोग कैसे हैं?
पंकज का कहना है, ‘वैसे तो काम में बिजी रहने की वजह से कहीं बाहर नहीं जाना होता है. इसके साथ ही खास सिक्योरिटी मिले होने की वजह से भी हमें होटल या वेन्यू से बाहर जाने की इजाजत कम ही मिलती है. लेकिन, फिर भी जब मुझे बाहर जाने का मौका मिला तो मैं पाकिस्तान के कई शहरों में घूमा. जहां मुझे बहुत कुछ भारत जैसा ही दिखा. वहां के लोग भी अच्छे ही हैं और भारत के प्रति उनमें नफरत कम ही देखने को मिली. कई लोग तो भारतीय होने का पता चलने पर अच्छे से व्यवहार करते हैं और यहां के बारे में सवाल करते है. खाना भी वहां भारत के जैसा ही है, लेकिन वहां ग्रेवी वाली डिश कम दिखती है और वो लोग ड्राई चिकन आदि खाना पसंद करते हैं.’
लाहौर एयरपोर्ट का किस्सा…
पंकज ने अपने अनुभव शेयर करते हुए बताया, ‘एक बार मैं और मेरे साथी भारत आने के लिए लाहौर एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे. उस दिन भारत और पाकिस्तान का मैच था. ये वर्ल्ड कप को वो मैच था, विराट कोहली ने अकेले दम पर भारत को मैच जिताया था. उस वक्त मैंने देखा कि एयरपोर्ट पर मैच चल रहा था और लोग स्क्रीन पर मैच देख रहे थे.
हम भारतीय दोस्त काफी परेशान और टेंशन में थे, लेकिन पाकिस्तान के लोग जश्न मना रहे थे. टीम इंडिया की खराब स्थिति पर वे काफी जोश से जश्न मना रहे थे और हमें अच्छा नहीं लग रहा था. इस दौरान कुछ लोग भारत के लिए अपशब्द भी बोल रहे थे, हम कुछ कर भी नहीं कर सकते थे. इस दौरान कुछ लोग बोल रहे थे कि देखो हमारे गेंदबाजों ने किस तरह भारत की हालत खराब कर रखी है… और भी बहुत कुछ.
उस वक्त हम कुछ नहीं कर पा रहे थे और ऐसा पहला मौका था जब हमने देखा कि भारत हार रहा था और हम किसी को जश्न मनाते देख रहे थे. इससे पहले भारत में हमने हमारी हार पर लोगों को निराश ही देखा, लेकिन यहां सबकुछ उलटा था, जो काफी अजीब था. मगर एक चीज ये खास थी कि एक शख्स भले ही पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहा था, लेकिन उसके कोहली की जर्सी पहनी हुई थी, वो देखकर अच्छा अनुभव हुआ.