महाराष्ट्र में मराठी भाषा का विवाद एक बड़े राजनीतिक और सांस्कृतिक विवाद का रूप ले चुका है. अब इस विवाद में केडियोनॉमिक्स के संस्थापक सुशील केडिया (Sushil Kedia) जैसे निवेशक भी कूद पड़े हैं. अपने सोशल मीडिया पर पब्लिकली, उन्होंने ऐलान किया है कि वह मराठी नहीं सीखेंगे.
एक्स पर ठाकरे को टैग करते हुए एक पोस्ट में केडिया ने लिखा, ‘मुंबई में 30 साल रहने के बाद भी मैं मराठी ठीक से नहीं जानता, और आपके घोर दुर्व्यवहार के कारण, मैंने यह संकल्प लिया है कि जब तक आप जैसे लोगों को मराठी मानुस की देखभाल करने का दिखावा करने की अनुमति नहीं दी जाती, मैं प्रतिज्ञा लेता हूं कि मैं मराठी नहीं सीखूंगा. क्या करना है बोल?’
केडिया का ये बयान उस वीडियो के कुछ दिन बाद आया है, जिसमें कथित तौर पर MNS कार्यकर्ताओं का एक ग्रुप मीरा रोड के एक दुकानदार पर इसलिए हमला कर दिया, क्योंकि उसने मराठी में बात करने से मना कर दिया.
Do note @RajThackeray I dont know Marathi properly even after living for 30 years in Mumbai & with your gross misconduct I ahve made it a resolve that until such people as you are allowed to pretend to be taking care of Marathi Manus I take pratigya I wont learn Marathi. Kya…
— Sushil Kedia (@sushilkedia) July 3, 2025
इन लोगों ने 48 साल के बाबूलाल खिमजी चौधरी से इसलिए लड़ाई की, क्योंकि उनके एक वर्कर ने उन्हें हिंदी में जवाब दिया. जिसके बाद दुकानदार से बहस हो गई और फिर एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने उनपर हमला कर दिया. चौधरी ने बताया कि उनके वर्कर दूसरे राज्यों से हैं और मराठी नहीं जानते, जिस कारण एक ग्रुप ने उनपर हमला किया. इस हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है, जिसपर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
राज्य मंत्री ने कहा, ‘मराठी तो बोलनी ही पड़ती है’
इस घटना पर कई तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं. राज्य मंत्री योगेश कदम ने कहा, ‘महाराष्ट्र में आपको मराठी बोलनी ही पड़ती है. अगर आपको मराठी नहीं आती है, तो आपका रवैया यह नहीं होना चाहिए कि आप मराठी नहीं बोलेंगे. अगर महाराष्ट्र में कोई मराठी का अपमान करता है, तो हम अपने कानून लागू करेंगे.’ हालांकि, कदम ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि उन्हें पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी.
MNS के अधिकारी ने किया बचाव
इस घटना की शिकायत के बाद हमला में शामिल 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. MNS के एक पदाधिकारी ने इस झगड़े का बचाव करते हुए दुकानदार के ‘अहंकारी’ रवैये को दोषी ठहराया. उन्होंने दावा किया कि जब ये घटना हुई तो ये लोग राज्य सरकार द्वारा भाषा नीति प्रस्ताव को वापस लेने के जश्न के दौरान पानी खरीदने गए थे.