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‘लड़के के 21 वर्ष होने का इंतजार करूंगी, माता-पिता के घर नहीं जाउंगी’, कोर्ट में 19 वर्षीय लड़की की दलील

मुंबई के एक शेल्टर होम में रह रही 19 वर्षीय हिंदू लड़की ने सोमवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के सामने अपना बयान दर्ज कराया. लड़की ने कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं बल्कि अपने साथी के साथ रहना चाहती है, भले ही वह कानूनी रूप से उससे शादी करने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि वह केवल 20 वर्ष का है. भारत में शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है. लड़की ने कहा कि वह अपने मुस्लिम साथी के 21 वर्ष होने तक इंतजार करेगी.

जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे की पीठ उस लड़के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो धर्म से मुस्लिम है और उसने शेल्टर होम से लड़की को रिहा करने की मांग की थी. यह याचिका अधिवक्ता लोकेश जादे और आबिद अब्बास सैय्यद द्वारा दायर की गई थी और अदालत ने पुलिस को शेल्टर होम से लड़की को पेश करने का निर्देश दिया था.

पीठ ने लड़की से बातचीत करने का फैसला किया जिसने कहा कि वह 19 वर्ष से थोड़ी अधिक उम्र की है और उसने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है. उसने कहा कि उसने अभी तक याचिकाकर्ता से शादी नहीं की है, लेकिन उससे शादी करेगी.

पीठ ने पूछा कि क्या वह और याचिकाकर्ता जानते हैं कि वे अपने दम पर कैसे जीवनयापन करेंगे. लड़की के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं था, लेकिन उसने कहा कि यह सब सुलझ जाएगा क्योंकि याचिकाकर्ता कॉल सेंटर में काम करता था और उसे नौकरी मिल जाएगी.

लड़के के साथ रहने की जिद पर अड़ी युवती
याचिकाकर्ता भी अदालत में था, और उसने अदालत को बताया कि उसने अंडरगारमेंट कपड़ों का व्यवसाय शुरू किया है और उसे इससे कुछ पैसे कमाने की उम्मीद है. जब पीठ ने पूछा, तो लड़की ने जोर देकर कहा कि वह अपने माता-पिता के पास वापस नहीं जाना चाहती और याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है और बाद में वे शादी कर लेंगे.

पीठ ने कहा कि उनकी सारी योजनाएं भविष्य में हैं और लड़की से कहा ‘पहले उसे घर बसाने दो और फिर उससे शादी करने का फैसला करो.’ इस पर लड़की ने कहा, ‘मैंने फैसला कर लिया है.’ उसने विस्तार से बताया कि जब तक याचिकाकर्ता विवाह योग्य नहीं हो जाता, तब तक उसे उसके साथ रहने में कोई समस्या नहीं है.

लड़की की जान को खतरा बताया
इस बीच याचिकाकर्ता ने लड़की को उसके माता-पिता के घर भेजे जाने का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि उसकी जान को खतरा है. हालांकि, पीठ ने लड़की के पिता को अदालत परिसर में उससे मिलने की अनुमति दी और लड़की से कहा, ‘माता-पिता से कोई खतरा नहीं है. तुम्हारे पिता को केवल तुम्हारी चिंता है.’ पीठ ने सोमवार दोपहर को दंपति और उनके वकीलों से चैंबर में बात करने का फैसला किया.

याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता और लड़की दोनों वयस्क हैं और अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम हैं.’ साथ ही, यह भी कहा गया है कि लड़की अपने माता-पिता का घर छोड़कर अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता के पास रहने आई है.

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