मणिपुर में ड्यूटी से बच रहे IAS एमएल मीणा को High Court से झटका, इंटर स्टेट ट्रांसफर की मांग की खारिज

मणिपुर कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एमएल मीणा को बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगलपीठ ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मणिपुर से किसी अन्य राज्य में स्थानांतरण (इंटर स्टेट ट्रांसफर) की मांग की थी। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की पीठ ने स्पष्ट किया कि मीणा द्वारा उठाए गए सभी तर्क न्यायिक हस्तक्षेप के योग्य नहीं हैं।

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मीणा ने दावा किया था कि वर्ष 2006 में मणिपुर में दो विधायकों ने उनके साथ कथित मारपीट की थी, जिससे उन्हें आज भी जान का खतरा है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें मणिपुर में तैनात न किया जाए। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि वर्ष 2020 की खुफिया ब्यूरो (IB) रिपोर्ट में मणिपुर में किसी प्रकार के खतरे का जिक्र नहीं किया गया है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को यह अधिकार है कि वह तय करे कि किस अधिकारी को कहां तैनात करना है। याचिकाकर्ता चार वर्षों से ड्यूटी से लगातार अनुपस्थित हैं, जो अत्यंत गंभीर मामला है। हाई कोर्ट ने उनकी इस अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई और कहा कि यह किसी भी सार्वजनिक सेवक के लिए स्वीकार्य नहीं है।

कोर्ट ने मीणा द्वारा प्रस्तुत उन दस्तावेजों पर भी संदेह जताया जो कथित हमले के प्रमाण के तौर पर याचिका के साथ लगाए गए थे। याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि उन्हें मणिपुर की जगह किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर किया जाए, लेकिन कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि यह फैसला लेना सरकार का अधिकार क्षेत्र है और इसमें न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा।

एमएल मीणा 2001 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें मणिपुर-त्रिपुरा कैडर मिला था। बाद में वह मध्य प्रदेश में डेपुटेशन पर आए थे। लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने और राज्य में वापस जाने से इनकार करने के चलते मामला कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह कितने भी वरिष्ठ क्यों न हो, अपने कैडर की जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता।

 

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