केंद्र सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक तपन कुमार डेका को एक साल का सेवा विस्तार प्रदान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet – ACC) ने उनके सेवा विस्तार को मंजूरी दी है. अब डेका 30 जून 2026 तक इस पद पर बने रहेंगे. आगामी 30 जून को उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था.
यह लगातार दूसरी बार है जब डेका को उनकी उत्कृष्ट कार्यशैली और देश की आंतरिक सुरक्षा में योगदान के चलते एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है. उनका नेतृत्व केंद्र सरकार के लिए भरोसेमंद और प्रभावी साबित हुआ है.
तपन कुमार डेका 1988 बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें पहली बार जून 2022 में दो साल के लिए आईबी निदेशक नियुक्त किया गया था. डेका ने अपने करियर का अधिकांश समय इंटेलिजेंस ब्यूरो में ही बिताया है. उन्होंने आतंकवाद और उग्रवाद से संबंधित कई अहम मामलों को संभाला है. खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और टारगेट किलिंग से जुड़े मामलों में उनकी भूमिका निर्णायक रही है.
2024 में प्रमोट हुए थे डेका
डेका जून 2024 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में विशेष निदेशक (Special Director) के पद पर पदोन्नत किए गए थे. इससे पहले वे अतिरिक्त निदेशक (Additional Director) के रूप में सेवाएं दे रहे थे
उनके नेतृत्व में आईबी ने हाल के वर्षों में कई जटिल और संवेदनशील सुरक्षा चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटा है. डेका का सेवा विस्तार यह दर्शाता है कि मोदी सरकार आंतरिक सुरक्षा को लेकर बेहद सजग है और अनुभवी अधिकारियों के नेतृत्व को प्राथमिकता दे रही है.
पुलवामा आतंकी हमलों के दौरान निभाई अहम भूमिका
तपन कुमार डेका को आतंकवाद विरोधी अभियानों का दशकों का अनुभव है. वे उस समय आईबी में ऑपरेशंस के संयुक्त निदेशक (Joint Director – Operations) थे जब इंडियन मुजाहिदीन देश में अपनी आतंकी गतिविधियों के चरम पर था. उनके नेतृत्व में इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इंडियन मुजाहिदीन के हर एक ऑपरेटिव को ट्रैक कर उसकी गतिविधियों पर निगरानी रखी और उसे निष्क्रिय करने में अहम भूमिका निभाई.
इसके अलावा, डेका ने 2015–16 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के दौरान भी अभियानों का संचालन किया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, खासकर घाटी में लक्षित हत्याओं जैसे गंभीर मामलों को भी बखूबी संभाला है. उनकी रणनीतिक सूझबूझ और जमीनी अनुभव ने उन्हें देश की आंतरिक सुरक्षा का एक बेहद विश्वसनीय स्तंभ बना दिया है.