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ICMR के नए आहार दिशा-निर्देश, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बचें, चीनी-नमक पर कंट्रोल जरूरी

नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अत्यधिक फैट, चीनी और नमक (HFSS) वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) और हाई सैचुरेटेड फैट (SF) वाले खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कहा है कि इनके नियमित सेवन से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग, एनीमिया जैसी गैर-संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, साथ ही संज्ञान, स्मृति और सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.

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भारतीय आबादी के लिए नवीनतम आहार संबंधी दिशा-निर्देशों में, आईसीएमआर (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने सॉस, पनीर, मेयोनेज, जैम, फलों के गूदे, जूस, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, बिस्कुट, कुकीज, केक, पेस्ट्री, नाश्ता अनाज, ठंडे पेय, स्वास्थ्य पेय, पैकेज्ड फलों के रस, समोसा, कचौरी, बीफ, मटन, पोर्क सहित लाल मांस जैसे HFSS और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) के सेवन को सीमित करने का सुझाव दिया है. इसमें कहा गया है कि अधिक नमक वाले भोजन से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है और किडनी पर बोझ पड़ता है.

इसमें कहा गया है, ‘यहां तक ​​कि घर का बना खाना भी अधिक फैट, अधिक चीनी या नमक के साथ तैयार होने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. हमेशा ताजा और कम से कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज जैसे अनाज, बाजरा, दालें और ताजी सब्जियां, फल, मेवे और बीज खाने को प्राथमिकता दें. दिशा-निर्देशों में घर के बाहर तैयार खाद्य पदार्थों का सेवन करते समय सावधानी बरतने का भी सुझाव दिया गया है. तले हुए, फैट युक्त, मीठे और नमकीन खाद्य पदार्थों और बेकरी उत्पादों से बचें’.

HFSS में अधिक ऊर्जा
एचएफएसएस (HFSS) भोजन को ऐसे भोजन या आहार के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें किसी भी खाना पकाने वाले वनस्पति तेल या घी, मक्खन (दृश्यमान या जोड़ा हुआ तेल/वसा) आदि से 15 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा होती है. एचएफएसएस खाद्य पदार्थ अत्यधिक खाना पकाने वाले तेल/फैट या अधिक चीनी और नमक के साथ तैयार किए जाते हैं.

हाई सैचुरेटेड फैट (SF)
घी या मक्खन के अलावा, जो हाई सैचुरेटेड फैट (उच्च संतृप्त वसा यानि SF) हैं, नारियल तेल, ताड़ के तेल और वनस्पति में भी होते हैं. संतृप्त (पूर्णतः) फैट के छिपे हुए स्रोतों में वे खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिनमें SF का उच्च स्तर होता है. जैसे कि लाल मांस (बीफ, मटन, पोर्क, आदि) और हाई फैट वाले डेयरी उत्पाद (फुल क्रीम दूध, पनीर, आदि).

जब प्रतिदिन 10 ग्राम से अधिक विजिबल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलोरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो SF का उपयोग उच्च माना जाता है.

हाई साल्ट
प्रतिदिन 5 ग्राम से अधिक नमक (प्रतिदिन 2 ग्राम से अधिक सोडियम) का सेवन ‘उच्च’ माना जाता है.

अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ
चिप्स, सॉस, बिस्कुट, बेकरी उत्पाद आदि जैसे प्रसंस्कृत और पहले से पैक किए गए खाद्य पदार्थ, नमकीन स्नैक्स, नमकीन, पापड़ और अचार जैसे घर पर तैयार खाद्य पदार्थ और साथ ही ऐसे पेय पदार्थ जिनमें निर्माता/रसोइया/उपभोक्ता द्वारा नमक मिलाया जाता है.

हाई शुगर
प्रतिदिन कुल ऊर्जा सेवन में 5 प्रतिशत से अधिक या प्रतिदिन 25 ग्राम (प्रतिदिन 2000 किलो कैलोरी के औसत सेवन के आधार पर) चीनी का सेवन ‘उच्च’ चीनी के रूप में परिभाषित किया जाता है.

HFSS खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
हाई फैट वाले खाद्य पदार्थ और उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थ ऊर्जा सघन होते हैं (उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ और विटामिन, खनिज और फाइबर में कम). इन खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से न केवल अधिक वजन और मोटापा होता है, बल्कि व्यक्ति को स्वस्थ खाद्य पदार्थ लेने से भी वंचित करता है. ये आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (अमीनो एसिड और फैट), फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन, खनिज, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, बायो-एक्टिव पदार्थ प्रदान करते हैं.

आहार में आवश्यक अमीनो एसिड, फैटी एसिड और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से एनीमिया हो सकता है. अनुभूति, सीखने की क्षमता, याददाश्त प्रभावित हो सकती है और एनसीडी का खतरा बढ़ सकता है. हाई फैट या हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थ सूजन का कारण बनते हैं और आंत के माइक्रोबायोटा को प्रभावित करते हैं. ये आहार के साथ जल्दी से बदल जाता है. इससे एनसीडी का खतरा बढ़ जाता है. उच्च नमक वाले खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाते हैं और गुर्दे पर भार डालते हैं.

क्या हैं प्रोसेस्ड फूड
खाए जाने वाले अधिकांश खाद्य पदार्थों को किसी न किसी तरह से प्रोसेस्ड किया जाता है, ताकि उन्हें खाने के लिए उपयुक्त बनाया जा सके. दूध, मांस, मछली, सब्जियां और ताजे फलों जैसे अत्यधिक खराब होने वाले उत्पादों को संरक्षित करने के लिए न्यूनतम फूड प्रोसेसिंग आवश्यक है. फूड प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों की मौसमी उपलब्धता को बढ़ाता है और लंबी दूरी पर आसान परिवहन और वितरण को सक्षम बनाता है.

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF)
UPF का तात्पर्य ऐसे खाद्य और पेय उत्पादों से है, जिनका व्यापक औद्योगिक प्रसंस्करण किया गया है. इनता बहुत अधिक मात्रा में योजक होते हैं, जैसे कि परिरक्षक, मिठास, रंग, स्वाद, पायसीकारी और अन्य पदार्थ, जिनका आमतौर पर पाक-कला में उपयोग नहीं किया जाता है. ये खाद्य पदार्थ आम तौर पर कम से कम अतिरिक्त तैयारी के साथ खाने के लिए तैयार होते हैं. इनमें से बहुत से खाद्य पदार्थों में फाइबर और पोषक तत्व कम होते हैं.

अस्वस्थ क्यों हैं UPF
फाइबर की कमी और खराब सूक्ष्म पोषक तत्व उन्हें अस्वस्थ बनाते हैं. साथ ही, UPF उच्च कैलोरी (ऊर्जा) सेवन में योगदान करते हैं क्योंकि वे अक्सर वसा में उच्च होते हैं. UPF का सेवन बड़ी आबादी द्वारा बड़ी मात्रा में किया जाता है, क्योंकि इनका स्वाद अनोखा होता है. ये स्वादिष्ट होते हैं और इनकी कीमत कम होती है. ये दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से उपलब्ध होते हैं.

उनमें से कुछ एक्सट्रूडेड उत्पाद, मीठे पेय, आइसक्रीम, कुकीज़, केक, कुछ जमे हुए प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कोल्ड कट मीट और इंस्टेंट खाद्य पदार्थ हैं. UPF का सेवन अधिक वजन, मोटापे और कोरोनरी हृदय रोग (हार्ट अटैक), सेरेब्रोवास्कुलर रोग (स्ट्रोक) और मधुमेह के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है. UPF उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी तेज करता है.

फास्ट फूड
ICMR-NIN अध्ययन के अनुसार, फास्ट फूड वे हैं जो खाने के लिए ऑर्डर करने के कुछ ही मिनटों के भीतर पक जाते हैं. इनमें से ज्यादातर ताजे होते हैं और UPF के अंतर्गत नहीं आते हैं. हालांकि, कुछ फास्ट-फूड आइटम जैसे मिल्क शेक, चिप्स, पिज्जा, बर्गर और फ्राइज HFSS या अल्ट्रा-प्रोसेसिंग के कारण अस्वास्थ्यकर माने जाते हैं. स्ट्रीट फ़ूड में कई तरह के खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ होते हैं, जिन्हें विक्रेता और फेरीवाले, खास तौर पर सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर तैयार करते हैं या बेचते हैं. ये आम तौर पर पौष्टिक और ताजे होते हैं.

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