पहलगाम हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. वहीं, बलूचिस्तान भी पाकिस्तान पर हावी हो रहा है. दरअसल, बलूचिस्तान में एक बार फिर बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हमले किए हैं. इन हमलों को बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले बलूच विद्रोही गुटों ने अंजाम दिया है. कई इलाकों में पाकिस्तानी सुरक्षाबल बैकफुट पर नजर आए और कुछ स्थानों पर सरकारी संस्थानों को आग के हवाले कर दिया गया.
बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए कितना जरुरी है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अगर बलूचिस्तान पाक से अलग हुआ तो उसे कितना बड़ा झटका लगेगा, पाकिस्तान से सोने और तांबे का भंडार तक खत्म हो जाएगा. अनुमान है कि प्रांत में 5.9 बिलियन टन खनिज और सोना और तांबा अप्रयुक्त है, जो पाकिस्तान को आर्थिक रूप से जोखिम में डाल सकता है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं कितनी बड़ी है बलूचिस्तान की इकोनॉमी?
सबसे बड़ा प्रांत
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. ईरान और अफ़गानिस्तान की सीमाओं के पास स्थित बलूचिस्तान इस क्षेत्र को पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है. बलूचिस्तान में सोने, तांबे और प्राकृतिक गैस जैसे खनिज संसाधन पाए जाते हैं, जो इसे देश के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं. हालाँकि, अगर यह प्रांत पाकिस्तान से अलग हो जाता है, तो देश को गंभीर आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संकटों का सामना करना पड़ सकता है.
बलूचिस्तान की ताकत
- बलूचिस्तान को खनिजों के खजाने के रूप में जाना जाता है.
- बलूचिस्तान क्षेत्र 347,190 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो पाकिस्तान के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 44 प्रतिशत है
- बलूचिस्तान की जनसंख्या लगभग 14.9 मिलियन है.
- यह प्रांत पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो देश के ऊर्जा संकट को दूर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
- पाकिस्तान को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उसे बाहरी स्रोतों से महंगी ऊर्जा आयात करनी पड़ेगी.
- इस क्षेत्र में 59 बिलियन टन खनिज भंडार हैं, जिनमें दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार – 60 मिलियन औंस सोना (लगभग 1,700 टन) भी शामिल है.
- इसका रेको दिक क्षेत्र सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार माना जाता है.
- प्रांत में तांबे का विशाल भंडार है, जिसका अनुमानित कुल मूल्य लगभग 174.42 लाख करोड़ रुपये है.
सोने का भंडार
ब्लूमबर्ग की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, रेको डिक दुनिया के सबसे बड़े अविकसित तांबे और सोने के भंडारों में से एक है, जिसमें आधी सदी से भी ज़्यादा समय तक सालाना 200,000 टन तांबा और 250,000 औंस सोना उत्पादन की क्षमता है. हालांकि, पाकिस्तानी सरकार, बैरिक गोल्ड और एंटोफ़गास्टा पीएलसी के बीच विवादों के कारण खनन परियोजना पर प्रगति रुक गई थी.
पाकिस्तान के मुश्किल खड़ी कर सकता है बलूच
बलूचिस्तान के अलग होने से पाकिस्तान के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक संकट पैदा हो सकता है. ईरान और अफ़गानिस्तान से नज़दीक होने के कारण यह प्रांत पाकिस्तान के लिए रणनीतिक गढ़ के रूप में काम करता है. इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत, चीन भी इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल है. अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव दोनों प्रभावित हो सकते हैं.
अगर वहां की इकोनॉमी को समझने की कोशिश करें तो बलूचिस्तान को पाकिस्तान को फलो की टोकरी भी कहा जाता है. जहां पर चेरी, अंगूर, बादाम, खुबालनी और आड़ू जैसे फलों का प्रोडक्शन होता है. अगर बात खजूर की करें तो पूरे पाकिस्तान का 70 फीसदी प्रोडक्शन सिर्फ बलूचिस्तान में ही किया जाता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान के इस प्रांत की इकोनॉमी किस चीज पर निर्भर करती है.
यहां पाकिस्तान की 90% चेरी, अंगूर और बादाम, 60% खुबानी, आड़ू और अनार, 70% खजूर और 34% सेब का उत्पादन होता है. अकेले मकरान डिवीजन में हर साल लगभग 4,25,000 टन खजूर का उत्पादन होता है.
पर्यटन से कितनी होती है कमाई
बलूचिस्तान न केवल कृषि में बल्कि पर्यटन में भी अपार संभावनाएं रखता है. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) के अनुसार, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था में 8.3 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देता है. बलूचिस्तान में मेहरगढ़ सभ्यता जैसे ऐतिहासिक स्थल, ज़ियारत का कायद-ए-आज़म रेजिडेंसी और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल जैसे प्राकृतिक स्थल हैं.
यदि इन स्थलों का विकास और प्रचार किया जाए, तो बलूचिस्तान न केवल घरेलू बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है, जो प्रांत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा.