लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे एक हफ्ते में आ जाएंगे. इन नतीजों का देश की अर्थव्यवस्था पर खास तौर से असर पड़ने की उम्मीद है. अमेरिकी रिसर्च फर्म S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुताबिक, सरकार के पूंजीगत खर्च के साथ-साथ निजी खपत और निवेश में सुधार से चुनाव के बाद आर्थिक गति को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है.
रिसर्च फर्म ने नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, डिजिटल बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स, खाद्य उत्पादन और सेवाओं जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को भारत की व्यापक आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए अहम बताया.
S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने कहा, ‘ये क्षेत्र भारतीय व्यापक आर्थिक स्थिरता और विकास को आगे बढ़ाते हैं. जलवायु नीति और ऊर्जा परिवर्तन के लिए प्रासंगिक हैं और घरेलू रोजगार का समर्थन करते हैं. बड़े स्तर पर इन क्षेत्रों के आगे के विकास को भारत की विदेश नीति के नजरिए से फायदेमंद माना जाता है.
इसमें कहा गया है कि ये क्षेत्र जलवायु नीति, ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों और घरेलू रोजगार उद्देश्यों के साथ भी तालमेल में हैं.
S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुताबिक, उम्मीद है कि 2024 में मंहगाई पिछली तिमाही के 5.7 फीसदी से घटकर 5.3 फीसदी हो जाएगी. फर्म ने यह भी कहा कि अगर पीएम मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार 4 जून को संसद में दो-तिहाई बहुमत जीतती है, तो 2030 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना और वित्त वर्ष 26 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 4.5 फीसदी तक कम करना लक्ष्य होगा.
फर्म ने आगे कहा कि सरकारी सेवाओं और निजी क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी के उपयोग में बढ़ोतरी भी काफी हद तक संभव है. इसलिए, पर्सनल डेटा, घरेलू डिजिटल बुनियादी ढांचे के उपयोग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम के उपयोग को रेगुलेट करने के लिए प्रस्तावित कानून पर मोदी-सरकार में ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.
S&P Global ने रणनीतिक क्षेत्रों में ‘राष्ट्रीय चैंपियन’ फर्मों पर संभावित जोर पर भी बात कही, जिससे संभावित रूप से परियोजना पर आधारित स्पेशल छूट मिल सकती है.
हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, अगर NDA बहुमत से कम रहता है, तो ध्यान केंद्र सरकार के नेतृत्व वाले सामाजिक कल्याण प्रावधानों की तरफ जा सकता है. ऐसी परिस्थितियों में राज्यों के साथ सहयोग बढ़ने की उम्मीद है.
S&P Global के विकेन्द्रीकृत नीति निर्धारण नजरिए के मुताबिक, अगर किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो कैबिनेट फेरबदल की संभावनाओं और 100 दिनों के कार्यक्रम के लिए गठबंधन सहयोगियों के बीच बातचीत में देर होने की संभावना भी है.