नागा विद्रोही संगठन एनएससीएन (आईएम) ने धमकी दी है कि अगर अलग ‘राष्ट्रीय ध्वज और संविधान’ की मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वह सरकार के साथ अपने 27 साल पुराने संघर्ष विराम समझौते को तोड़ देगा और अपने सशस्त्र संघर्ष पर वापस लौट जाएगा. दरअसल, 1947 में भारत की आजादी के तुरंत बाद नागालैंड में हिंसक विद्रोह करने वाले इस समूह ने सरकार के वार्ताकारों के साथ लंबी शांति वार्ता शुरू करने से पहले 1997 में संघर्ष विराम समझौता किया था. 3 अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) ने स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सरकार के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
पीटीआई के मुताबिक शुक्रवार को जारी एक बयान में समूह के महासचिव और मुख्य राजनीतिक वार्ताकार थुइंगालेंग मुइवा ने कहा कि वह और पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय इसाक चिशी स्वू शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए संघर्ष के समाधान के लिए वार्ता की मेज पर गए और सशस्त्र आंदोलन को छोड़कर शांतिपूर्ण राजनीतिक बातचीत के जरिए मुद्दे को हल करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों पी वी नरसिम्हा राव, एच डी देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य की प्रतिबद्धता का भी सम्मान किया.
तदनुसार, राजनीतिक वार्ता 1 अगस्त, 1997 को शुरू हुई और तब से भारत और विदेश दोनों में बिना किसी पूर्व शर्त के 600 से अधिक दौर की वार्ता हुई, जिसके परिणामस्वरूप 3 अगस्त, 2015 को रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
मुइवा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और सरकार में नेतृत्व ने नागा “संप्रभुता राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान” को मान्यता देने और स्वीकार करने से इनकार करके रूपरेखा समझौते के अक्षर और भावना के साथ “जानबूझकर विश्वासघात” किया है.
उन्होंने कहा कि सरकार और एनएससीएन के बीच राजनीतिक सहमति के लिए मानदंड रूपरेखा समझौते की मूल भावना के अनुसार होना चाहिए, जिसमें अन्य बातों के अलावा, नागा “संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और नागा संप्रभु राष्ट्रीय संविधान” राजनीतिक समझौते का अभिन्न अंग होना चाहिए. मुइवा ने कहा कि आज या कल, नागा का “अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता और स्वतंत्रता, संप्रभु क्षेत्र, संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है”.
उन्होंने बयान में कहा, “फिर भी, भले ही नागा और एनएससीएन के खिलाफ़ हालात हों, हम नागा द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, उठाएंगे और नागा लोग सशस्त्र संघर्ष सहित किसी भी तरह से नागा के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता और स्वतंत्रता, संप्रभु क्षेत्र, संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान की रक्षा और बचाव करेंगे.”
अधिकारियों ने नई दिल्ली में कहा कि एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता फिलहाल आगे नहीं बढ़ रही है, क्योंकि समूह अलग नागा ध्वज और संविधान की मांग कर रहा है, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है. इसके अलावा, सरकार संघर्ष विराम समझौते के बाद एनएससीएन के अलग हुए समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रही है. जिन समूहों ने संघर्ष विराम समझौते किए हैं, वे हैं: एनएससीएन-एनके, एनएससीएन-आर, एनएससीएन के-खांगो और एनएससीएन-के-निकी.