तलाक के बाद पति की इनकम बढ़े तो पत्नी का भी बढ़े गुजारा भत्ता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान माना कि आज के समय में जीवन यापन करना लगातार महंगा होता जा रहा है. ऐसे में अलग रह रही पत्नी को गुजारा करने में दिक्कत आ सकती हैं. इसमें पति की बढ़ती के आय के आधार पर पत्नी को मिलने वाले गुजारा भत्तों को बढ़ाने के लिए वैध आधार हैं.

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60 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने भत्ते में वृद्धि करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने माना कि पति के रिटायर होने के बाद भी उसकी इनकम में बढ़ोतरी हुई है और बढ़ती महंगाई को देखते हुए भत्ता बढ़ाना जरूरी है.

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने सोमवार को एक 60 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है, जिसमें फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने से इनकार कर दिया गया था.

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट ने जिस मामले में ये फैसला सुनाया है. उस जोड़े की शादी साल 1990 में हुई थी. हालांकि दो साल ही वो अलग गए. महिला की तरफ से उस शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न समेत दहेज की मांग का आरोप लगाया था. साल 2012 में फैमिली कोर्ट ने पति को 10 हजार रुपये महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.

महिला ने 2018 में, अपने पति की टीजीटी से पीजीटी में प्रमोशन का हवाला देते हुए भत्ता बढ़ाने की मांग की थी. महिला ने कहा था कि पति की इनकम पहले के मुकाबले ज्यादा हुई है. इसलिए उसका मिलने वाला भत्ता भी बढ़ाया जाए. हालांकि पति साल 2017 में रिटायर हो चुका है. इसके बाद भी वह दो साल एक्सटेंशन पर काम करता रहा.

फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

महिला ने कोर्ट को बताया कि उनके पिता जो उन्हें आर्थिक तौर पर मदद करते थे, उनकी मौत हो गई है. उन्हें अब पहले के मुकाबले ज्यादा खर्च उठाना पड़ रहा है. हालांकि पिछले साल सितंबर में फैमिली कोर्ट ने आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसमें बैंक अकाउंट में बची राशि और आर्थिक संकट का जिक्र किया गया था.

महिला ने आरोप लगाया कि यह आदेश अवैध था क्योंकि अदालत ने इस बात पर विचार नहीं किया कि 2012 में दिया गया गुजारा भत्ता उनके पति की ₹28,000 की आय के आधार पर तय किया गया था, जबकि इस आदेश को पारित करते समय यह बढ़कर ₹40,000 हो गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके पति एक सरकारी कर्मचारी थे, फिर भी उन्होंने सीजीएचएस कार्ड से उनका नाम हटा दिया था. याचिका का विरोध करते हुए, 70 वर्षीय पति ने तर्क दिया कि जुलाई 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद उनकी आर्थिक स्थिति काफी कम हो गई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

जस्टिस शर्मा ने फैमिली कोर्ट के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि न्यायालय यह समझने में विफल रहा कि 2012 में जिस आय के आधार पर गुजारा भत्ता निर्धारित किया गया था, वह व्यक्ति की वर्तमान पेंशन आय से कम थी.

जस्टिस शर्मा ने कहा, “उनकी आय में वृद्धि और जीवन-यापन की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि, परिस्थितियों में स्पष्ट बदलाव का संकेत देती है जिसके लिए गुजारा भत्ता राशि में वृद्धि आवश्यक है.”

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