मैं होता तो देश का बंटवारा नहीं होने देता… राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन की बड़ी बातें

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में हिस्सा लिया और इस दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला भी बोला. उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल का जिक्र करते हुए जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीओके हमारे पास होता तो आतंकी नहीं आते. कश्मीर में आतंकवाद कांग्रेस की देन है. जिस अनुच्छेद-370 का कांग्रेस समर्थन करती उसने अलगाववाद को बढ़ावा दिया. मैं होता तो देश का बंटवारा नहीं होने देता. इस दौरान अमित शाह ने कहा कि 2047 तक भारत विश्व में नंबर वन होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 100 साल का लक्ष्य तय

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पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर अमित शाह-ऑपरेशन महादेव में 3 आतंकी मारे गए. पहलगाम हमले में आतंकी सुलेमान भी शामिल था. उसकी ही बंदूक से गोलियां चली थीं. देश की सेना ने उसे पाकिस्तान भागने नहीं दिया. इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था. ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा के हेडक्वार्टर को ध्वस्त कर दिया गया.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, हमले के बाद मैं कश्मीर पहुंच गया था. वहां बैठक की थी. मैंने कहा था कि इन आतंकियों को पकड़िए. इन आतंकियों के पास से 3 राइफल बरामद हुई हैं.जिस दिन पहलगाम में हमला हुआ उस दिन वहां से एनआईए ने खाली कारतूसों को कब्जे में लिया, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया. जब ये आतंकी मारे गए और इनके पास से जो राइफल मिलीं, चंडीगढ़ में लैब में जांच की गई तो पाया गया कि इन्हीं तीन राइफल का इस्तेमाल किया गया था.

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम पर शाह का हमला- अमित शाह ने कहा, संसद में चर्चा से पहले चिदंबरम ने सबूत क्यों मांगे? चिदंबरम पाकिस्तान पर हुए अटैक के सबूत मांग रहे हैं. क्या वो पाकिस्तान को मदद पहुंचाना चाहते हैं.किसे बचाना चाहते थे. जिस दिन इन्होंने सवाल पूछे उसी दिन ये तीन आतंकी मारे गए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस ऑपरेशन के नाम पर सवाल उठा रही है. मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर आप क्या नाम रखना चाहते थे.कांग्रेस हर मुद्दे को हिंदू-मुसलमान की नजर से देखती है. ऑपरेशन महादेव में हिंदू-मुस्लिम न खोजें. कोई कहता है कि आतंकी आज ही क्यों मारे गए. मैं पूछना चाहता हूं कि इन्हें कितना जिंदा रखना चाहते हो.

पीओके पर शाह का बड़ा ऐलान-अमित शाह ने बड़ा ऐलान भी किया. उन्होंने कहा कि पीओके कांग्रेस ने दिया था लेकिन लेने का काम बीजेपी करेगी. आज पीओके हमारे पास होता तो आतंकी ना आते.ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में खौफ पैदा हो गया है. डर से ही शांति होती है. ये सुधरने वाले लोग नहीं हैं. चिदंबरम साहब पूछ रहे हैं कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे, इसका सबूत क्या है. तो मैं बताना चाहता हूं कि सबूत हमने ढूंढ लिए हैं.

हिंदू आतंकवाद का जिक्र और कांग्रेस पर हमला- अमित शाह ने कहा,हिंदू टेरर का सगूफा किसने छोड़ा. मैं कहना चाहता हूं कि हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता. फर्जी केस बनाए आपने. सिर्फ अपनी छिछोरी राजनीति के लिए. फिर भी आप लोग हार गए.विपक्ष कहता है कि आप हमेशा नहीं रहेंगे. मैं बताना चाहता हूं कि मैं 61 साल का हुआ हूं, 14 से 30 तक बीजेपी की ही सरकार रहने वाली है. चिदंबरम साहब इसकी आदत डाल लो. ये बात मैंने 2015 में कही थी.

कश्मीर और आतंकवाद पर क्या बोले शाह-अमित शाह ने कहा, पहले आतंकियों के जनाजे में 10-10 हजार लोग शामिल होते थे. मैंने तय किया कि ये नहीं होगा. एनआईए और ईडी ने बहुत अच्छी कार्रवाई की. जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन को बंद करने का काम किया. आतंकियों के इकोसिस्टम को खत्म करने का काम किया.पहले तीन परिवारों की सत्ता थी. पहले चुनाव होते थे, अधिकारी बताते हैं कि उन्हें फर्जी वोटिंग का काम सौंपा जाता था. सुरक्षा तो भगवान भरोसे रहती थी.

अमित शाह ने कहा, जब से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली उनके दिलो-दिमाग में कश्मीर की शांति का भूत सवार था. मोदी जी ने अनेक लोगों से इस मुद्दे पर चर्चा की. ढेर सारा मंथन 2014 से चलता था. आज मैं विश्वास से कहता हूं कि कश्मीर में आतंकवाद समाप्ति की ओर है.पिछले 6 महीने में कश्मीर का एक भी युवा आतंकी संगठनों में भर्ती नहीं हुआ है. आतंकवाद पर तो कांग्रेस को बोलने का अधिकार ही नहीं है.

राहुल गांधी पर हमला-अमित शाह ने कहा, राहुल गांधी कल पूछ रहे थे कि चीन के बारे में कुछ नहीं बोलते, क्यों? इस पर मैं बताना चाहता हूं कि चीन को जमीन देने का काम किसने किया. सुरक्षा परिषद में चीन के लिए वकालत किसने की. इन्होंने एक तरह से चीन के बारे में राजीव गांधी फाउंडेशन से एमओयू किया. क्या राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश की जनता को इस बारे में बता सकते हैं. चीन के साथ गुपचुप मीटिंग कौन कर रहा था. ये हमसे कह रहे हैं कि चीन का नाम नहीं लिया. जब नाम लेना होगा लेंगे. आप देश की जनता को बताओ कि क्या समझौता किया था. युद्ध की स्थिति में कैसे समझौता कर सकते हो.

उस समय (नेहरू जी के समय) अनौपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की ओर से सुझाव दिया गया कि चीन को संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध किया जाए, परंतु उनको सुरक्षा परिषद में नहीं, बल्कि उसकी जगह भारत को देना चाहिए.अगर नेहरू जी चाहते तो आज भारत सुरक्षा परिषद का सदस्य होता. आज मोदी जी को प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ती.

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