17 साल की दुल्हन और 50 साल का दूल्हा… कहाया (बदला हुआ नाम) की शादी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के एक तीन सितारा होटल में कुछेक लोगों की मौजूदगी में कराई गई. यह शादी इस्लामिक कानून के विवादित प्रावधान के तहत हुई और कहाया का शौहर सऊदी अरब से आया एक टूरिस्ट था.
शादी के बाद कहाया की एक बड़ी बहन उनकी देखरेख के लिए उनके साथ गईं. कहाया की शादी कराने वाला एजेंट भी बतौर गार्जियन उनके साथ गया.
सऊदी अरब के टूरिस्ट ने कहाया से अस्थायी शादी करने के लिए 850 डॉलर (71, 387 रुपये) दहेज के रुपए दिए. एजेंट और मौलवी का हिस्सा कटने के बाद कहाया के परिवार को दहेज की आधी रकम ही हासिल हुई.
शादी के बाद कहाया का शौहर उन्हें जकार्ता से दो किमी दूर दक्षिण में स्थित Kota Bunga शहर के एक रिजॉर्ट में ले गया. यहां उसने कहाया के साथ संबंध बनाने के अलावा घर का सारा काम भी कराया. कहाया साफ-सफाई करने, खाना बनाने का काम करतीं और जब फ्री होतीं तब टीवी देखतीं. पिता की उम्र के इंसान के साथ बिस्तर शेयर करने को लेकर कहाया बेहद असहज थीं और चाहती थीं कि ये अस्थायी शादी जल्द से जल्द खत्म हो जाए.
शादी के पांच दिन बाद कहाया को दिया गया ‘तीन तलाक’
शादी पांच दिनों तक चली और टूरिस्ट अपने देश वापस सऊदी चला गया. वहां से तीन तलाक बोलकर कहाया से शादी खत्म कर ली.
कहाया ने अपने पहले कॉन्ट्रैक्ट शौहर को अपना असली नाम कभी नहीं बताया. ये थी कहाया की पहली कॉन्ट्रैक्ट शादी और इसके बाद उनकी इतनी बार कॉन्ट्रैक्ट शादियां हो चुकी हैं कि उन्हें गिनती तक याद नहीं. वो कहती हैं कि शायद 15 बार उनकी शादी हुई और सारे ही पुरुष मध्य-पूर्वी देशों से थे जो टूरिस्ट बनकर इंडोनेशिया आए थे.
वो कहती हैं, ‘ये मेरे लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं है. जब भी मेरी शादी होती, मेरे दिमाग में बस एक ही बात होती कि मुझे घर जाना है.’
तलाकशुदा महिलाओं के गांव
निकाह मुताह… या फिर मजे के लिए की गई शादी (Pleasure Marriage), इस्लाम में एक विवादित अस्थायी शादी है जो अब इंडोनेशिया के पहाड़ी इलाके जिसका नाम Puncak है, में खूब प्रचलित हो चुकी है. इस इलाके में यह प्रथा इतनी जड़ें जमा चुकी है कि इंडोनेशिया के लोग इस इलाके के गांवों को ‘तलाकशुदा महिलाओं के गांव’ (divorcee villages) कहने लगे हैं.
कहाया बताती हैं कि एक हजार की आबादी वाले अपने गांव में वो ऐसी 7 महिलाओं को जानती हैं जो आजीविका के लिए इस तरह की शादियों का हिस्सा बन रही हैं.
मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया के कानून में जिस तरीके से वेश्यावृत्ति गैर-कानूनी है वैसे ही निकाह मुताह जैसी कॉन्ट्रैक्ट शादियों पर भी रोक है. लेकिन इस कानून का असर जमीन पर नहीं दिखता. इसके बजाय निकाह मुताह एक व्यापार बन गया है, जिसमें दलालों, अधिकारियों और भर्ती करने वालों का एक बड़ा नेटवर्क है जो धर्म और स्टेट के बीच के ग्रे जोन में फल-फूल रहा है.
इंडोनेशिया से पहले थाईलैंड में फला-फूला निकाह मुताह
कई सालों तक, मध्य-पूर्व के पर्यटकों, जिसमें मजे के लिए वेकेशन पर आने वाले पर्यटक भी शामिल होते हैं, उनके लिए थाईलैंड मुख्य आकर्षण था लेकिन 1980 के दशक में इस ट्रेंड में बदलाव देखा गया जब सऊदी और थाईलैंड के रिश्तों में तनाव पैदा हुआ.
उसके बाद सऊदी के पर्यटक थाईलैंड की जगह इंडोनेशिया आने लगे जहां की 87% आबादी मुस्लिम है. मुस्लिम आबादी की वजह से सऊदी अरब के लोगों के लिए इंडोनेशिया थाईलैंड से ज्यादा फैमिलियर था.
सऊदी अरब के पर्यटकों को देखते हुए Puncak के लोगों ने उनके हिसाब से रेस्टोरेंट्स भी खोल लिए और व्यापार फलने-फूलने लगा. Puncak का Kota Bunga इलाका सऊदी अरब के पर्यटकों की पहली पसंद बन गया जहां अस्थायी शादी का ट्रेंड तेजी से बढ़ा.
इलाके में अस्थायी शादी के शुरुआती दिनों में लड़कियों को उनके परिवार वाले या उनके परिचित ही पर्यटकों के पास ले जाते थे लेकिन बढ़ते समय के साथ बिचौलियों ने उनकी जगह ले ली.
गरीब इलाकों में फल-फूल रही निकाह मुताह प्रथा
जकार्ता में सरीफ हिदायतुल्ला इस्लामिक स्टेट यूनिवर्सिटी में इस्लामिक फैमिली लॉ के प्रोफेसर यायन सोपयान ने लॉस एंजिल्स टाइम्स से साथ इंटरव्यू में बताया कि इंडोनेशिया के कई शहरों में जहां आर्थिक संभावनाएं नहीं हैं, वहां ये प्रथा खूब लोकप्रिय है. साथ ही कोविड महामारी ने हालात को और भी बदतर बना दिया.
उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि अब यह प्रथा बढ़ रही है. पर्यटन इस आर्थिक जरूरत को पूरा कर रहा है.’
रसोइए के रूप में सऊदी में काम कर चुके इंडोनेशिया के छोटे उद्यमी बुदी प्रियाना ने बताया कि उन्होंने पहली बार कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के बारे में 3 दशक पहले सुना था. वो मध्य-पूर्व से आए एक पर्यटक को घुमा रहे थे तभी उसने उनसे अस्थायी पत्नी खोजने में मदद की मांग की.
इसके बाद प्रियाना लड़कियों को बिचौलियों तक पहुंचाने का काम करने लगे जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ हुआ. वो बताते हैं कि वो अपने काम के सिलसिले में बहुत से एजेंटों के संपर्क में हैं और उनसे पता चलता है कि यह बिजनेस काफी फल-फूल रहा है. कुछ एजेंट्स बताते हैं कि वो एक महीने में 25-25 शादियां करा रहे हैं.
55 साल के बुदी प्रियाना बताते हैं कि कभी-कभी तो उन्हें कुल दहेज का 10% भी मिल जाता है. हालांकि, वो दावा करते हैं कि इस काम से वो लड़कियों को काम ढूंढने में मदद कर रहे हैं और जितना संभव होता है, उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं.
वो कहते हैं, ‘कॉन्ट्रैक्स शादी के लिए बहुत सी नई लड़कियां मुझे संपर्क करती हैं लेकिन मैं उन्हें बताता हूं कि मैं कोई एजेंट नहीं हूं. हमारी अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है और वो काम पाने के लिए हताश हैं.’
कॉन्ट्रैक्ट शादी से पहले भी हो चुकी थी कहाया की शादी
17 साल की उम्र में पहले कॉन्ट्रैक्ट मैरिज से पहले भी कहाया की एक शादी हो चुकी थी. 13 साल की उम्र में उनकी शादी उनके क्लास में ही पढ़ने वाले एक लड़के से हुई थी. उनके दादा-दादी ने जबरदस्ती यह शादी करवाई थी. लेकिन शादी के चार साल बाद ही कहाया के पति ने उन्हें तलाक दे दिया. शादी से कहाया को एक बेटी भी हुई लेकिन पति ने उसकी देखरेख से भी इनकार कर दिया.
ऐसे में कहाया ने जूते बनाने वाली फैक्ट्री में या किसी जनरल स्टोर में काम करने के बारे में सोचा, लेकिन वेतन इतना कम था कि इतने में उनका घर चलाना लगभग असंभव था.
पैसों की तंगी के चलते कहाया की बड़ी बहन ने उन्हें सुझाव दिया कि वो कॉन्ट्रैक्ट शादी कर पैसे कमाए. बड़ी बहन ने ही उनको पहली बार बुदी से मिलवाया जिसने कहाया को कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कराने वाले बिचौलिए से मिलाया.
हर कॉन्ट्रैक्ट शादी से कहाया को 300-500 डॉलर मिले जिनका इस्तेमाल उन्होंने किराया देना, खाने-पीने और अपने बीमार दादा-दादी की देखभाल पर खर्च कर दिया. हालांकि, ये पैसा भी कहाया की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा था.
कहाया का कहना है कि वो जो काम करती हैं, उसपर उन्हें शर्म आती है. उन्होंने अपने काम के बारे आसपास के लोगों को कभी सच नहीं बताया बल्कि ये बता रखा है कि वो काम के सिलसिले में अलग-अलग शहरों में जाती रहती है.
वो कहती हैं, ‘मेरे आसपास के लोगों को नहीं पता कि मैं क्या करती हूं. अगर उन्हें ये पता चल गया तो मैं मर जाऊंगी.’
कॉन्ट्रैक्ट मैरिज पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
मुस्लिम बहुल देशों में कॉन्ट्रैक्ट शादियां व्यापक रूप से फैली हुई हैं. इस तरह की शादियों पर सरकारें पाबंदी नहीं लगा पा रहीं, खासकर जब युवा लड़कियों की सुरक्षा की बात आती है.
इंडोनेशियाई कानून में विवाह के लिए कानूनी न्यूनतम आयु 19 वर्ष है. लेकिन कई धार्मिक विवाह सरकारी जांच से बच जाते हैं और इस तरह की शादियों में लड़कियों की उम्र बेहद कम होती है.
इस्लामिक पारिवारिक कानून विशेषज्ञ यायान कहते हैं, ‘लोगों को लगता है कि सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. लोग समझते हैं वो धर्म के हिसाब से शादी कर रहे हैं इसलिए देश का कानून इसे अवैध नहीं ठहरा सकता. यही बड़ी समस्या है.’
इंडोनेशिया के इस्लामी नेताओं के प्रमुख संगठन इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल ने भी अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट शादी को गैरकानूनी घोषित किया है.
जकार्ता फेमिनिस्ट नामक संगठन की प्रोग्राम निदेशक अनिंद्या रेस्तुवियानी कहती है, ‘इस तरह की शादी के खिलाफ कोई भी कानूनी सुरक्षा नहीं है. हमारे पास कानून तो है, लेकिन उसे लागू कर पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है.’
निसा (बदला हुआ नाम) की कहानी भी कहाया की तरह ही है. निसा को कॉन्ट्रैक्ट शादी में उनके पिता ने धकेला. वो पहले बार में शराब परोसने और डांस करने काम करती थीं. कहाया के जैसी ही निसा की पहली शादी से उन्हें एक बेटी है.
‘पैसों के लिए बूढ़े से शादी की ताकि…’
अब 32 साल की हो चुकीं निसा अपनी पहली कॉन्ट्रैक्ट मैरिज को लेकर कहती हैं, ‘मैं अंदर ही अंदर खूब रोती थी. एक बूढ़े इंसान के साथ कौन सोना चाहेगा? वो शादी मैंने पैसों के लिए की ताकि मैं अपने परिवार का पेट भर सकूं और भाई-बहनों को स्कूल भेज सकूं.’
निसा ने अपनी छोटी बहन को भी कॉन्ट्रैक्ट दुल्हन बनने के लिए राजी कर लिया और उसे दहेज में 3,000 डॉलर (2 लाख 51 हजार 876 रुपये) मिले क्योंकि वो वर्जिन थी.
निसा बताती हैं कि वो 20 कॉन्ट्रैक्ट शादियां कर चुकी हैं. लेकिन कहाया से उलट अब वो इस व्यापार से बाहर निकल चुकी हैं. चार साल पहले ही एक इंडोनेशियाई व्यक्ति से उन्हें प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली. इस शादी से निसा के दो लड़के हैं. वो अपनी 12 साल की बेटी, दो बेटों के साथ पति के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं.
वो कहती हैं, ‘मेरे पति को सब पता है लेकिन उन्होंने मेरे अतीत को स्वीकार लिया है. कॉन्ट्रैक्ट शादियों में अब दोबारा जाना मेरे लिए असंभव है.’
सऊदी अरब में गुलामों की तरह रखी गईं कहाया
कहाया भी ऐसी जिंदगी नहीं चाहतीं. वो भी चाहती हैं कि इस नर्क से निकल जाएं और इसी चाह में वो अपनी हालिया कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में सऊदी के एक शख्स से मिलीं.
यह पिछले साल की ही बात है. शख्स ने वादा किया था कि अगर वो उसके साथ सऊदी अरब जाएंगी तो वो उन्हें रानी की तरह रखेगा. शख्स ने कहा कि वो शादी के बदले में 2,000 डॉलर (1 लाख 67 हजार 917 रुपये) दहेज देगा. शख्स ने जाते वक्त कहाया की मां से कहा कि जब तक वो कहाया को सऊदी नहीं बुला लेता, वो उसका ध्यान रखें.
लेकिन जब कहाया पिछले साल अक्टूबर में सऊदी के शहर दम्माम पहुंची तब उस शख्स ने उन्हें गुलाम बना लिया. वो घर का सारा काम उनसे करवाता और खूब मारता-पीटता. वो कहाया के खाने में थूक देता, सोते वक्त लात मारकर जगा देता.
कहाया ने कई बार भागने की कोशिश की लेकिन पकड़ी गईं. इस बीच बुदी प्रियाना ने उनकी मदद की. कहाया ने मारपीट से तंग आकर एक दिन अपनी नस काट ली थी हालांकि, वो बच गई.
इसी साल मार्च में बुदी के दबाव की वजह से कहाया के अस्थायी पति के एक रिश्तेदार ने उनका टिकट कराया जिस कारण वो अपने देश वापस आ पाईं. इंडोनेशिया लौटकर वो फूड डिलीवरी का काम करती हैं. इतना सब होने के बावजूद भी कहाया ने एक अच्छा जीवनसाथी मिलने की उम्मीद नहीं छोड़ी है और उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनकी ये तलाश पूरी होगी. हालांकि, वो इतनी बार धोखा खा चुकी हैं कि उनकी इस उम्मीद के पीछे धोखे का डर एक साए की तरह चलता है.