गुजरात के जामनगर के वनतारा वन्यजीव केंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई हाथी को रखना चाहता है और पूरे नियमों का पालन कर ऐसा करता है तो उसमें क्या गलत है. सोमवार (15 सितंबर, 2025) को मामले की सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने यह बात कही है. हालांकि, कोर्ट ने अभी कोई आदेश पारित नहीं किया है.
आज की सुनवाई में विशेष जांच दल की रिपोर्ट भी पेश की गई. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर वनतारा में अवैध वन्यजीव हस्तांतरण और हाथियों की अवैध कैद की गहन जांच की मांग की गई थी. 25 अगस्त की सुनवाई में कोर्ट ने इन आरोपों की जांच के लिए एसआईटी बनाने का निर्देश दिया था.
एसआईटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर, उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी अनिश गुप्ता शामिल हैं.
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस प्रसन्ना वराले की बेंच ने इतने कम समय में रिपोर्ट देने के लिए एसआईटी की सराहना की. वनतारा के लिए पेश सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि हम नहीं चाहते कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक हो. दुनिया में बहुत से लोग हमसे व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता रखते हैं. वह दुरुपयोग कर सकते हैं. इस पर जस्टिस मिथल ने कहा कि कोर्ट ऐसा नहीं होने देगा. हम आपको रिपोर्ट देंगे ताकि आप जहां सुधार की जरूरत हो, कर सकें
एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि बिल्कुल, हम जरूरी कदम उठाएंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट आ चुकी है. वह हमारी तरफ से तय किए गए सवालों पर है. अब किसी को बार-बार वही सवाल उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
याचिकाकर्ता ने मंदिर के हाथियों का मसला उठाया तो बेंच ने उनसे पूछा, ‘आप कैसे जानते हैं कि वहां मंदिर के हाथी को अच्छे से नहीं रखा जा रहा?’ कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में कई चीजें हैं, जिन पर हम गर्व कर सकते हैं. उन्हें व्यर्थ के विवादों में नहीं उलझाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई हाथी को रखना चाहता है और पूरे नियमों का पालन कर ऐसा करता है तो क्या गलत है.