उदयपुर : जिले के वल्लभनगर क्षेत्र के रूपावली गांव स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में रविवार सुबह एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब स्कूल की बरामदे की दीवार तथा भरभराकर गिर गई. यह वही स्थान है जहां सामान्य दिनों में बच्चों की कक्षाएं लगती थीं.गनीमत रही कि रविवार का अवकाश होने के कारण स्कूल में कोई छात्र मौजूद नहीं था.ग्रामीणों और अभिभावकों ने इसे ‘सिर्फ किस्मत का खेल’ बताया है.
विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक करीब 90 छात्र अध्ययनरत हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह भवन 1984 में बना था और इसकी छत आरसीसी के बजाय पट्टी से बनी हुई है, जो वर्षों से जर्जर स्थिति में है.ग्रामीणों ने स्कूल स्टाफ और शिक्षा विभाग को कई बार इसकी खतरनाक हालत से अवगत कराया था, यहां तक कि विरोध प्रदर्शन भी किए गए, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली.
शनिवार रात हुई बारिश के बाद रविवार सुबह अचानक बरामदे की दीवार और छत का हिस्सा भरभराकर गिर गया.प्रधानाध्यापक फतह सिंह झाला ने बताया कि विभाग को पूर्व में ही इस भवन की स्थिति के बारे में सूचित गया था और मरम्मत हेतु बजट भी स्वीकृत हो चुका है.हालांकि काम बरसात के बाद ही शुरू होगा, ऐसा आश्वासन दिया गया है.
इस घटना ने हाल ही में झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में घटित उस दर्दनाक हादसे की याद ताजा कर दी है, जहां स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विभाग किसी नई त्रासदी का इंतजार कर रहा है?
ग्रामीणों ने कड़े शब्दों में प्रशासन से मांग की है कि स्कूल की तत्काल मरम्मत कराई जाए और बच्चों की जान जोखिम में डालने वाले भवनों पर तुरंत कार्रवाई हो। यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता को कठघरे में खड़ा करती है, जो अब एक संयोग नहीं बल्कि सिस्टम की असफलता बन चुकी है.