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‘ट्रंप आएंगे तो खालिस्तानियों को सबक सिखाएंगे, ट्रूडो को भी बात सुननी होगी…’, अमेरिकी चुनाव पर बोले भारतीय मूल के हिन्दू उद्योगपति

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में आज (5 नवंबर) वोटिंग होनी है. रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस के बीच सीधा मुकाबला है. इस बीच, अमेरिकी उद्योगपति और रिपब्लिकन हिंदू गठबंधन के संस्थापक शलभ कुमार ने अमेरिकी चुनाव पर खुलकर चर्चा की. शलभ का कहना था कि अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं तो वो भारत और अमेरिका के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में काम करेंगे. जबकि कमला हैरिस नाम से हिंदू हैं, लेकिन उनके काम भारत विरोधी हैं.

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शलभ ने ट्रंप और मोदी की दोस्ती की तारीफ की और कहा, ट्रंप और पीएम मोदी अच्छे दोस्त हैं, इसलिए ट्रंप के नेतृत्व में अगले चार साल शानदार होंगे. भारत में हिंदुओं के बारे में ट्रंप की स्थिति बहुत स्पष्ट है. कह सकते हैं कि यह 2016 से ही स्पष्ट है, जब उन्होंने 15 अक्टूबर को न्यू जर्सी की रैली में हिस्सा लिया था.

‘ट्रंप जीते तो खालिस्तानियों पर कार्रवाई करेंगे’

कनाडा विवाद मुद्दे पर शलभ का कहना था कि अगर ट्रंप चुने जाते हैं तो वो खालिस्तानी अलगाववादियों पर कार्रवाई करेंगे और जस्टिन ट्रूडो को भी बात सुननी पड़ेगी. क्या ट्रंप के चुने जाने पर खालिस्तानी मुद्दा और भारत-कनाडा संबंधों में तनाव का समाधान हो सकता है? शलभ कुमार ने कहा, हां, ऐसा होगा. ट्रंप के ट्वीट के बाद क्या हुआ… यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री ट्रूडो को भी टिप्पणी करनी पड़ी. उन्होंने अपनी स्थिति नरम कर दी. खालिस्तानी सिर्फ एक साधारण ध्यान भटकाने वाले हैं. यह बहुत कम लोग हैं. पंजाब से मेरे बहुत सारे दोस्त हैं और मेरे पास भी ढेर सारे सिख मित्र हैं और वो खालिस्तानी अलगाववादियों की गतिविधियों की निंदा करते हैं.

उन्होंने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके (डोनाल्ड ट्रंप) शासन में यह सब नहीं चलने वाला है. इतना ही नहीं, कनाडा में भी ट्रूडो को सुनना होगा. ट्रम्प और पीएम मोदी अच्छे दोस्त हैं और अगर ट्रम्प दोबारा चुने जाते हैं तो अगले चार साल बहुत अच्छे होने वाले हैं.

‘कमला हैरिस सिर्फ नाम से हिंदू हैं’

वोटर्स के लिए रिपब्लिकन मैसेज दिए जाने पर शलभ ने कहा, राजनीतिक संदेश अमेरिकी वोटर्स तक पहुंच गया है. देर हो चुकी है, लेकिन बात बढ़ गई है. कमला हैरिस सिर्फ नाम से हिंदू हैं. वह अपनी पहचान एक अश्वेत अमेरिकी के रूप में रखती हैं, जो पीएम मोदी की विरोधी हैं. उनके कार्य और नीतियां भारत विरोधी हैं. वह एक स्वतंत्र कश्मीर चाहती हैं. उनके अभियान में 5-7 लोग पाकिस्तान समर्थक हैं.

चीन से मुकाबला किया जाएगा

शलभ से जब सवाल पूछा गया कि भारत के लिए ट्रंप क्यों बेहतर होंगे? इस पर उन्होंने कहा, मोदी और ट्रंप कई मुद्दों पर सहमत हैं. अमेरिका और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर ट्रंप जोर दे रहे हैं. भारत और अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर विचार करेंगे. इतना ही नहीं, ट्रंप और मोदी ने चीन का मुकाबला करने की जरूरत पर जोर दिया है.

उन्होंने कहा, चूंकि, पाकिस्तान दिवालिया देश है और अब यह चीनी कठपुतली बन गया है, इसलिए यह भारत और अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती है. चीन, पाकिस्तान को अपने प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल करेगा और कुछ परेशानी पैदा करेगा, लेकिन, भारत और अमेरिका के रिश्तों के लिए हम दोनों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते की उम्मीद कर रहे हैं.

‘निर्णायक साबित होंगे हिंदू वोटर्स’

शलभ का कहना था कि इस बार मुकाबला उतना कड़ा नहीं है, जितना 2016 में था. उस समय वोटिंग के दिन हिलेरी क्लिंटन (डेमोक्रेटिक उम्मीदवार) हर जगह 5-6 अंक से आगे थीं, लेकिन अंत में ट्रंप जीत गए. रिपब्लिकन पार्टी ने ऊपरी मध्य पश्चिम के 3 राज्यों में 85,000 वोटों से जीत हासिल की थी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2016 में ट्रंप की जीत में हिंदू वोटर्स ने भी अहम योगदान निभाया. युद्ध के मैदान वाले सात राज्यों में हिंदू और भारतीय वोट निर्णायक साबित होंगे.

दरअसल, भारतीय-अमेरिकियों के करीब एक मिलियन वोट हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. शलभ का कहना था कि अमेरिकी चुनाव के नतीजे अंततः युद्ध के मैदान वाले राज्यों में हिंदू और भारतीय वोटों से तय होंगे. जब आप युद्ध के मैदान वाले सात राज्यों को मिलाते हैं तो करीब दस लाख वोट हो जाते हैं.

‘पासपोर्ट होने पर वोटिंग की अनुमति हो’

शलभ ने 2020 के चुनाव नतीजों पर कहा, पिछली बार रिपब्लिकन पार्टी अपने वकीलों के साथ तैयार नहीं थी. इस बार गड़बड़ी रोकने के लिए टीम तैयार है. अमेरिकी चुनाव में खूब गड़बड़ी होती है. मतदान की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब वोटर्स के पास उनका पासपोर्ट हो. वर्तमान में अवैध प्रवासी मतदान केंद्रों पर जाते हैं और एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करते हैं. उसके बाद उन्हें वोटिंग करने की अनुमति मिल जाती है.

‘सर्वे में हिंदू अमेरिकी शामिल नहीं’

हिंदू अमेरिकी वोटर्स को लेकर शलभ ने कहा, इस बार कांटे की टक्कर है. भारतीय अमेरिकियों और हिंदू अमेरिकियों को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है. चूंकि अधिकांश संस्थानों का अपना डेटाबेस होता है, इसलिए इस समूह का प्रतिनिधित्व शायद ही कभी किया जाता है. हालांकि, हिंदू अमेरिकी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

हिंदू अमेरिकी वोट वरीयता में बदलाव पर शलभ ने कहा, अमेरिका आने वाला लगभग हर भारतीय सबसे पहले एक डेमोक्रेट है. मैं खुद ऐसा ही था. लेकिन तत्कालीन गवर्नर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रोनाल्ड रीगन के साथ बातचीत ने मुझे दूसरी तरफ मोड़ दिया. मैं अमेरिका में रहने वाला पहला रिपब्लिकन भारतीय-अमेरिकी हूं.

शलभ ने कहा, एनआरसीसी (नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी) और आरएनसी के पास सॉफ्टवेयर से प्राप्त हिंदू अमेरिकियों का डेटा है. वर्तमान में 32 लाख हिंदू अमेरिकी मतदाता हैं. 85% हिंदू अमेरिकी राजनीतिक पार्टियों को नहीं चुनते हैं. हिंदू अमेरिकी यहां सबसे अनडिसाइडिंग इंडिपेंडेंट वोटिंग ब्लॉक हैं. पिछले कुछ दिनों में उन्होंने उम्मीदवारों, अपनी खुद की स्थिति, आर्थिक स्थिति, अमेरिका-भारत संबंधों के लिए अपेक्षित नीतियों पर ध्यान दिया है.

 

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