‘Waqf Bill नहीं लाते तो इस संसद पर भी दावा ठोक देते, NDA सरकार नहीं आती तो…’, लोकसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की दलीलें

Waqf Amendment Bill in Loksabha: केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के घोर हंगामे के बीच वक्फ संशोधन बिल 2025 को लोकसभा में पेश कर दिया है. किरेन रिजिजू ने लोकसभा में कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त समिति ने वक्फ संशोधन बिल पर सबसे विस्तृत चर्चा की है. इससे पहले इतनी लंबी चर्चा कभी नहीं हुई. रिजिजू ने कहा कि अगर वक्फ संशोधन बिल को यहां पेश नहीं किया जाता तो संसद भवन को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी जाती.

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन बिल 2025 पर सरकार के विचार रखते हुए कहा कि वे जेपीसी के सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हैं.
284 प्रतिनिधिमंडल ने जेपीसी को अपने सुझाव दिए. 25 राज्यों के वक्फ बोर्डों ने अपनी दलीलें दीं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत का वक्फ अधिनियम पहली बार 1954 में बना था. उसी अधिनियम में राज्य वक्फ बोर्डों के लिए प्रावधान किए गए थे. 1995 में विस्तृत वक्फ अधिनियम लाया गया. उस समय किसी ने नहीं कहा कि यह अधिनियम असंवैधानिक, गैरकानूनी है. आज जब हम उसी विधेयक में संशोधन करने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको यह असंवैधानिक और गैरकानूनी लग रहा है. आप (विपक्ष) लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.

विपक्ष की ओर से जोरदार हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वक्फ पर विवाद 2013 के कानून से शुरू हुआ. इस कानून की वजह से हिन्दू, जैन और सिख को भी वक्फ बनाने का अधिकार मिल गया. लेकिन इसके बाद अनुच्छेद-108 लाया गया, इस वजह से वक्फ को दूसरे कानूनों को ओवरराइड करने का अधिकार मिल गया. रिजिजू ने कहा कि यूपीए सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए गए बदलावों ने इसे अन्य कानूनों पर अधिभावी प्रभाव (overriding effect) दिया, इसलिए नए संशोधनों की आवश्यकता थी.

रिजिजू ने कहा कि इस तरह के कानून को देश में कैसे स्वीकार किया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री कहा कि दिल्ली में 1978 से एक केस चल रहा था. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने सीजीओ कॉमप्लेक्स, संसद भवन… कई संपत्ति हैं. इस पर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया और कहा कि ये वक्फ की संपत्ति है. उस समय की यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डिनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को दे दिया था.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर आज हम ये संशोधन लेकर नहीं आते तो जिस सदन में हम बैठे यानी कि ये संसद भवन पर भी दावा किया जा रहा था. किरेन रिजिजू ने बिल के पक्ष में दलीलें देते हुए कहा कि अगर नरेंद्र मोदी जी की सरकार नहीं आती, यूपीए की ही सरकार रह जाती तो पता नहीं क्या क्या बिल्डिंग को डिनोटिफाई कर दिया जाता. 123 संपत्ति तो डिनोटिफाई कर ही दिया गया था.

केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया. तो रिजिजू ने कहा कि वे अपने मन से कुछ नहीं कह रहे हैं सभी आधिकारिक रिकॉर्ड में हैं. उन्होंने कहा कि वे एक शब्द भी अपने ओर से नहीं कह रहे हैं जो घटना है, जो हकीकत है वही कह रहे हैं.

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