राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी H-1B वीजा के लिए फीस को अब एक लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये करने का ऐलान किया है. ट्रंप की तरफ से शुक्रवार को लिए गए फैसले के बाद मौजूदा वीजा होल्डर्स समेत H-1B कर्मचारियों को रविवार से अमेरिका में एंट्री लेने से रोक दिया जाएगा, जब तक कि उनकी कंपनी कर्मचारी के लिए 100,000 अमेरिकी डॉलर की सालाना फीस का भुगतान नहीं करेगी.
रविवार तक की डेडलाइन तय
यात्रा प्रतिबंध और फीस की जरूरत रविवार (21 सितंबर) को रात 12:01 बजे EDT (भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे) के बाद अमेरिका में दाखिल होने वाले किसी भी H-1B होल्डर पर लागू होगी. आदेश में कहा गया है कि नए H-1B और वीजा एक्सटेंशन के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा और उसके बाद उसे जारी रखने के लिए हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा.
आदेश में कहा गया है, ‘यह ऐलान गृह सुरक्षा विभाग को व्यक्तिगत विदेशी नागरिकों, किसी विशेष कंपनी में काम करने वाले विदेशी नागरिकों, या किसी विशिष्ट उद्योग में काम करने वाले विदेशी नागरिकों के लिए प्रतिबंध में छूट देने की इजाजत देता है, अगर एजेंसी के हिसाब से H-1B राष्ट्रीय हित में पाया जाता है और अमेरिकी सुरक्षा या कल्याण के लिए खतरा पैदा नहीं करता है.’
वीजा के लिए सालाना 88 लाख फीस
यह प्रतिबंध 12 महीने के लिए वैध रहेगा, लेकिन फेडरल एमिग्रेशन एजेंसियों की सिफारिश पर इसे बढ़ाया जा सकता है. विस्तार से उन विदेशी नागरिकों पर प्रतिबंध लागू रहेगा जिनके लिए वित्त वर्ष 2027 के लिए H-1B कैप याचिका मंजूर हो चुकी है. ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह कंपनियों से H-1B वर्किंग वीज़ा के लिए हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने को कहेगा, जिसके बाद कुछ बड़ी टेक कंपनियों ने वीज़ा होल्डर्स को अमेरिका में ही रहने या तुरंत वापस लौटने की चेतावनी दी है. H-1B वीजा प्रोग्राम के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए इस भारी-भरकम फीस का ऐलान किया है.
ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के तहत, स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने वाली कंपनियों को अब हर H-1B वीजा के लिए हर साल 100,000 अमेरिकी डॉलर की फीस देनी होगी, जो पहले के 1,500 अमेरिकी डॉलर से काफी ज्यादा है. अमेरिकी नागरिकता और एमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच जारी किए गए लगभग 4 लाख H-1B वीजा में से 72 प्रतिशत भारतीयों के हैं.
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि वीज़ा की अवधि के हर तीन वर्षों के लिए हर साल 100,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा, लेकिन इसके विवरण पर अभी भी विचार किया जा रहा है. न्यूयॉर्क स्थित प्रतिष्ठित एमिग्रेशन वकील साइरस मेहता ने कहा कि भारत में अभी भी रह रहे H-1B धारकों ने शायद डेडलाइन को खो दिया है, क्योंकि भारत से कोई सीधी उड़ान समय पर वहां नहीं पहुंच पाएगी.
अब फंस जाएंगे बाहर गए वीजा धारक
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘जो H-1B वीजा होल्डर्स व्यवसाय या छुट्टियों के लिए अमेरिका से बाहर हैं, वे 21 सितंबर की मध्यरात्रि से पहले एंट्री नहीं कर पाए तो वे फंस जाएंगे. भारत में अभी भी H-1B वीजा धारक शायद डेडलाइन से पहले ही चूक गए होंगे, क्योंकि भारत से सीधी उड़ान का समय पर पहुंचना मुमिकन नहीं है.’
एक लाख डॉलर के भारी भरकम H-1B वीजा फीस का मकसद इस प्रोग्राम के गलत इस्तेमाल को रोकना और आईटी सेक्टर की बड़ी कंपिनयों को विदेशियों, जिनमें अधिकतर भारतीय हैं, को अपने यहां लाने से रोकना है. उन्होंने H-1B प्रोग्राम की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कदम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा, भारतीय अर्थव्यवस्था को नहीं.
माइक्रोसॉफ्ट ने जारी की एडवाइजरी
जानकारी के मुताबिक दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने तो अमेरिका में काम करने वाले अपने भारतीय कर्मचारियों को जल्द से जल्द लौटने की अपील की है. सूत्रों के मुताबिक भारत की यात्रा पर गए कर्मचारियों को जल्द वापसी के लिए कहा गया है. एडवाइजरी में बताया गया कि फिलहाल यही एकमात्र सुरक्षित विकल्प है कि नियम लागू होने से पहले अमेरिकी धरती पर वापस आ जाएं.
अमेरिकी H-1B वीजा धारकों में 70 फीसदी से ज्यादा भारतीय कर्मचारी हैं और उसके बाद चीनी नागरिक आते हैं. ट्रंप के H-1B वीजा पर सख्त फैसले का भारतीय प्रोफेशनल्स पर बुरा असर पड़ने वाला है. क्योंकि कंपनियों अब सिर्फ बहुत ही जरूरी कर्मचारियों के लिए इतनी मोटी रकम चुकाने को राजी होंगी, ऐसे में कर्मचारियों की छंटनी की अटकलें भी लगाई जा रही हैं.
फिलहाल करीब दस लाख भारतीय ऐसे हैं जिन्हें अमेरिका में ग्रीन कार्ड का इंतजार है. साथ ही अमेरिका में करीब 50 लाख भारतीय रहते हैं. ट्रंप के फैसले से उनकी सरकार को भले ही मोटी कमाई हो, लेकिन इससे अमेरिका में हाईली स्किल्ड वर्कर्स की कमी आ सकती है. साथ ही कुछ एक्सपर्ट इस फैसले को इनोवेशन के लिहाज से भारत के लिए एक मौके के तौर पर भी देख रहे हैं.